7 जुलाई 2025 को लखनऊ के योजना भवन में इसरो और रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (आरएसएसी) द्वारा एक कार्यशाला आयोजित की गई। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग कृषि, सिंचाई, लोक निर्माण, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, वन, खनन, और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है। इसरो के चेयरमैन और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।
स्पेस टेक्नोलॉजी का महत्व
मुख्य सचिव ने बताया कि डिजिटल क्रॉप सर्वे मैनुअल सर्वे की तुलना में अधिक सटीक और विश्वसनीय डेटा प्रदान करता है। सैटेलाइट आधारित संचार तकनीक उन क्षेत्रों में मददगार है जहां ऑप्टिकल फाइबर की पहुंच नहीं है। उन्होंने इसरो से बारिश और बिजली गिरने की सटीक जानकारी देने वाली तकनीक विकसित करने का आग्रह किया, ताकि उत्तर प्रदेश में वज्रपात से होने वाली मौतों को रोका जा सके।
इसरो की उपलब्धियां
इसरो चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने बताया:
- 1963 में भारत ने पहला रॉकेट लॉन्च किया था।
- 1975 तक भारत के पास कोई सैटेलाइट नहीं था, लेकिन अब 131 सैटेलाइट हैं।
- 2015 में केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं में जीपीएस और रिमोट सेंसिंग तकनीकों के उपयोग की पहचान की थी।
- इसरो दुनिया में सबसे सस्ते और विश्वसनीय सैटेलाइट लॉन्च के लिए जाना जाता है।
उत्तर प्रदेश में रिमोट सेंसिंग
मुख्य सचिव ने बताया कि 1982 में स्थापित रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, लखनऊ, देश का पहला ऐसा केंद्र है। यह केंद्र विभिन्न सरकारी विभागों के लिए सैटेलाइट डेटा के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है, जिससे विकास और आपदा प्रबंधन में सहायता मिल रही है।
अपील
स्पेस टेक्नोलॉजी के उपयोग से उत्तर प्रदेश में विकास और आपदा प्रबंधन को नई दिशा मिल सकती है। नागरिकों और विभागों से अनुरोध है कि इसरो और आरएसएसी के साथ सहयोग करें ताकि तकनीकी लाभ को अधिकतम किया जा सके।