उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अवैध धर्मांतरण के सरगना जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के जाल में फंसी महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाकर समाज को झकझोर दिया है। इन महिलाओं ने बताया कि छांगुर के बहकावे में आकर उन्होंने धर्म परिवर्तन किया था, लेकिन अब सनातन धर्म में वापसी करने पर उन्हें और उनके परिवारों को धमकियां मिल रही हैं। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यालय में पीड़िताओं ने पत्रकारों से बातचीत में अपने दर्द और डर को साझा किया, साथ ही प्रशासन और पुलिस की उदासीनता पर गंभीर सवाल उठाए। यह मामला न केवल धर्मांतरण के काले कारोबार को उजागर करता है, बल्कि पीड़ितों की सुरक्षा और न्याय की मांग को भी सामने लाता है।
छांगुर का धर्मांतरण रैकेट: एक संगठित साजिश
जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, जो खुद को सूफी संत और पीर बाबा के रूप में प्रचारित करता था, पर आरोप है कि उसने बलरामपुर के मधपुर गांव में एक दरगाह से संगठित धर्मांतरण का नेटवर्क चलाया। उत्तर प्रदेश एटीएस ने हाल ही में छांगुर और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को गिरफ्तार किया, जिसके बाद इस रैकेट की कई परतें खुलीं। जांच में पता चला कि छांगुर का गिरोह गरीब, मजदूर, और असहाय लोगों को निशाना बनाता था। लव जिहाद, आर्थिक प्रलोभन, और फर्जी मुकदमों की धमकी के जरिए लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता था। पीड़िताओं का दावा है कि इस रैकेट ने करीब 4000 लोगों का धर्मांतरण कराया, जिनमें 1500 महिलाएं शामिल हैं।
पीड़िताओं की आपबीती: डर और दर्द की कहानी
लखनऊ के गोमती नगर में विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में पीड़ित महिलाओं ने अपनी कहानियां साझा कीं। एक पीड़िता ने बताया कि छांगुर और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन ने उन्हें इलाज और आर्थिक मदद का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया। उसने कहा, “हमें बताया गया कि बाबा के पास चमत्कारी शक्तियां हैं, जो हमारे दुख दूर करेंगी। लेकिन धर्म परिवर्तन के बाद हमें धमकियां और ब्लैकमेलिंग का सामना करना पड़ा।”
एक अन्य पीड़िता ने लव जिहाद का शिकार होने की बात कही। उसने बताया कि एक मुस्लिम युवक ने हिंदू नाम का इस्तेमाल कर उसे प्रेम जाल में फंसाया और छांगुर की दरगाह पर ले जाकर उसका धर्म परिवर्तन कराया। बाद में, जब उसने सनातन धर्म में वापसी की कोशिश की, तो उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकियां मिलीं। पीड़िता ने भावुक होकर कहा, “हमारी जिंदगी नरक बन गई थी। सनातन धर्म में वापसी के बाद भी हमें डर में जीना पड़ रहा है।”
धमकियों का सिलसिला: सनातन धर्म में वापसी पर खतरा
पीड़िताओं का कहना है कि सनातन धर्म में वापसी करने के बाद छांगुर के सहयोगियों ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। कुछ पीड़िताओं ने बताया कि उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराने की धमकी दी गई, जबकि कुछ को अश्लील वीडियो वायरल करने का डर दिखाया गया। एक पीड़िता ने खुलासा किया कि छांगुर का गिरोह उन महिलाओं का दुष्कर्म कर वीडियो बनाता था, जो धर्म परिवर्तन के लिए तैयार नहीं होती थीं। इन वीडियो का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए किया जाता था।
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय, जो प्रेस वार्ता में मौजूद थे, ने बताया कि छांगुर के रैकेट ने न केवल धर्मांतरण का धंधा चलाया, बल्कि समाज में डर का माहौल बनाया। उन्होंने कहा, “ये लोग संगठित तरीके से काम करते थे। लव जिहाद, पैसे का लालच, और धमकियां इनके हथियार थे। सनातन धर्म में वापसी करने वाली महिलाओं को धमकियां देना इस रैकेट की हताशा को दर्शाता है।”
पुलिस और प्रशासन पर सवाल
पीड़िताओं ने पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए। उनका आरोप है कि छांगुर का रैकेट कई सालों से सक्रिय था, लेकिन स्थानीय पुलिस ने इसकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। एक पीड़िता ने कहा, “हमने कई बार पुलिस से मदद मांगी, लेकिन हमें कोई सहायता नहीं मिली। उल्टा, हमें धमकियां मिलती थीं कि चुप रहो, वरना और मुश्किल होगी।”
जनप्रहरी संस्था के संयोजक नरोत्तम सिंह शर्मा ने भी प्रशासन की लापरवाही पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “15 साल से यह रैकेट चल रहा था, लेकिन खुफिया एजेंसियों को भनक तक नहीं लगी।
विश्व हिंदू परिषद की भूमिका: घर वापसी का अभियान
विश्व हिंदू परिषद ने छांगुर के रैकेट से प्रभावित लोगों की सनांतन धर्म में वापसी के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। गोमती नगर के शिव मंदिर में हाल ही में 12 लोगों की घर वापसी कराई गई, जिसमें वैदिक मंत्रों के साथ हवन-पूजन किया गया। विहिप का दावा है कि अब तक करीब 3000 लोगों की घर वापसी कराई जा चुकी है। संगठन ने सनातनी हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है, ताकि पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।
गोपाल राय ने बताया कि संगठन का उद्देश्य जबरन धर्मांतरण के शिकार लोगों को उनके मूल धर्म में वापस लाना है। उन्होंने कहा, “हम किसी पर जोर नहीं डालते, लेकिन जो लोग अपने मन से सनातन धर्म में लौटना चाहते हैं, उनका हम स्वागत करते हैं।”
रैकेट की गहराई: विदेशी फंडिंग और संगठित अपराध
एटीएस की जांच में खुलासा हुआ कि छांगुर का रैकेट विदेशी फंडिंग से संचालित हो रहा था। पाकिस्तान, सऊदी अरब, और तुर्किये से करीब 500 करोड़ रुपये की फंडिंग मिलने की बात सामने आई है। रैकेट ने जाति के आधार पर धर्मांतरण के लिए रेट तय किए थे: ब्राह्मण, क्षत्रिय, या सिख लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये, पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए 10-12 लाख, और अन्य जातियों के लिए 8-10 लाख रुपये।
छांगुर की सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन इस रैकेट में अहम भूमिका निभाती थी। वह महिलाओं को प्रलोभन देकर और ब्रेनवॉश करके धर्मांतरण के लिए तैयार करती थी। जांच में यह भी पता चला कि रैकेट ने कई महिलाओं को दुबई भेजा, जहां उनका भविष्य अंधेरे में धकेल दिया गया।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव
यह मामला भारतीय समाज में धर्मांतरण और घर वापसी जैसे मुद्दों पर गहन बहस को जन्म देता है। भारत के संविधान में हर व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन जब यह लालच, धमकी, या धोखे पर आधारित हो, तो यह विवाद का विषय बन जाता है। छांगुर के रैकेट ने न केवल व्यक्तियों के जीवन को प्रभावित किया, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी खतरे में डाला।
पीड़िताओं ने मांग की है कि इस रैकेट के सभी दोषियों को सजा दी जाए। एक पीड़िता ने कहा, “केवल छांगुर को पकड़ने से कुछ नहीं होगा। इस रैकेट में शामिल सभी लोगों को पकड़ा जाना चाहिए। हमें इंसाफ चाहिए, ताकि हम बिना डर के जी सकें।”