लखनऊ, 14 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। प्रदेश के 10,827 परिषदीय स्कूलों, जिनमें कम नामांकन था, का विलय (पेयरिंग) कर दिया गया है। इन स्कूलों के खाली पड़े भवनों को अब आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए उपयोग में लाया जाएगा, जो बाल वाटिका के रूप में कार्य करेंगे। इस पहल से न केवल छोटे बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा का बेहतर माहौल मिलेगा, बल्कि स्कूलों के बुनियादी ढांचे का भी बेहतर उपयोग होगा। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं, और जिला स्तर पर सर्वे का काम तेजी से शुरू हो गया है। यह कदम उत्तर प्रदेश में प्री-प्राइमरी शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
स्कूलों का विलय: एक रणनीतिक कदम
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग ने उन परिषदीय स्कूलों का विलय किया है, जहां छात्रों का नामांकन बहुत कम था। कुल 10,827 स्कूलों को अन्य नजदीकी स्कूलों के साथ जोड़ा गया है, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। इस प्रक्रिया से स्कूलों के खाली भवनों का उपयोग अब आंगनबाड़ी केंद्रों को शिफ्ट करने और उन्हें बाल वाटिका के रूप में विकसित करने के लिए किया जाएगा।
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर इस प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कई स्कूल परिसरों में पहले से ही आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिन्हें अब औपचारिक रूप से बाल वाटिका घोषित किया गया है। खाली हुए स्कूल भवनों को भी इसी तरह बाल वाटिका के रूप में उपयोग में लाया जाएगा, जिससे छोटे बच्चों को प्री-प्राइमरी शिक्षा का बेहतर माहौल मिलेगा।
सर्वे और शिफ्टिंग की प्रक्रिया
इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने के लिए जिला स्तर पर एक व्यापक सर्वे शुरू किया गया है। सर्वे का काम मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा किया जाएगा, जिसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए), जिला कार्यक्रम अधिकारी, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ), और संबंधित बाल विकास परियोजना अधिकारी शामिल होंगे। इस कमेटी को 15 दिनों के भीतर सर्वे पूरा करने का निर्देश दिया गया है।
सर्वे के दौरान यह देखा जाएगा कि कौन से खाली स्कूल भवन आंगनबाड़ी केंद्रों की शिफ्टिंग के लिए उपयुक्त हैं। इसके लिए ग्राम प्रधानों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, और अभिभावकों के साथ बैठकें आयोजित की जाएंगी। इन बैठकों में स्थानीय समुदाय की राय ली जाएगी, ताकि शिफ्टिंग प्रक्रिया पारदर्शी और प्रभावी हो। उपयुक्त भवनों का चयन होने के बाद आंगनबाड़ी केंद्रों को इन स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा।
बाल वाटिका: प्री-प्राइमरी शिक्षा का नया मॉडल
बाल वाटिका की अवधारणा छोटे बच्चों (3-6 वर्ष) को प्री-प्राइमरी शिक्षा और पोषण प्रदान करने का एक आधुनिक मॉडल है। इन केंद्रों में बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाएगी, जिससे उनकी बौद्धिक और शारीरिक क्षमता का विकास होगा। वर्तमान में कई आंगनबाड़ी केंद्र पंचायत भवनों, किराए की इमारतों, या अस्थायी जगहों पर चल रहे हैं, जहां बुनियादी सुविधाओं की कमी है। स्कूल भवनों में शिफ्ट होने से इन केंद्रों को बेहतर बुनियादी ढांचा, जैसे कक्षा, शौचालय, और खेल का मैदान, उपलब्ध होगा।
प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने बताया कि बाल वाटिका के रूप में इन केंद्रों का संचालन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है, जो प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) पर जोर देती है। इससे बच्चों को स्कूल जाने से पहले ही शिक्षा का मजबूत आधार मिलेगा, जो उनकी भविष्य की पढ़ाई के लिए लाभकारी होगा।
वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग 1.89 लाख आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जो 3-6 वर्ष के बच्चों को पोषण और प्री-प्राइमरी शिक्षा प्रदान करते हैं। हालांकि, इनमें से कई केंद्रों में स्थान, बुनियादी सुविधाओं, और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी है। स्कूल भवनों में शिफ्टिंग से इन समस्याओं का समाधान होने की उम्मीद है। लेकिन, इस प्रक्रिया में कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे:
- सर्वे की समयसीमा: 15 दिनों में सर्वे पूरा करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- स्थानीय सहमति: ग्राम प्रधानों और अभिभावकों की सहमति प्राप्त करना जरूरी है, ताकि शिफ्टिंग प्रक्रिया में कोई विवाद न हो।
- बुनियादी सुविधाएं: कुछ स्कूल भवनों में मरम्मत या अतिरिक्त सुविधाओं की जरूरत हो सकती है।
सामाजिक और शैक्षिक प्रभाव
यह पहल उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्री-प्राइमरी शिक्षा को बढ़ावा देगी। खाली स्कूल भवनों का उपयोग न केवल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करेगा, बल्कि बच्चों को एक सुरक्षित और सुविधाजनक शिक्षण माहौल भी प्रदान करेगा। स्थानीय समुदायों ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन उनकी मांग है कि शिफ्टिंग प्रक्रिया पारदर्शी हो और आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की जाए।
यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल बच्चों की शिक्षा में सुधार होगा, बल्कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी बेहतर कार्यस्थल मिलेगा।