आगरा में शिक्षा विभाग ने बिना मान्यता के संचालित हो रहे चार स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। खंड शिक्षाधिकारी (नगर) की टीम ने सोमवार को कमाल खां और ख्वासपुरा क्षेत्र में छापेमारी कर इन स्कूलों में अनियमितताएं पकड़ीं। ये स्कूल बिना वैध मान्यता के नर्सरी से लेकर दसवीं तक की कक्षाएं चला रहे थे। सभी स्कूलों को तत्काल बंद करने का नोटिस जारी किया गया है, साथ ही आगे कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। यह कदम बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकने की दिशा में उठाया गया है।
विस्तार
आगरा शहर में कई स्कूल बिना मान्यता के अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं, जो बच्चों की शिक्षा और भविष्य के लिए गंभीर खतरा बन रहे हैं। शिक्षा विभाग ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सोमवार, 14 जुलाई 2025 को कमाल खां और ख्वासपुरा क्षेत्र में चार स्कूलों पर छापेमारी की। खंड शिक्षाधिकारी (नगर) सुमित कुमार की अगुवाई में हुई इस कार्रवाई में पाया गया कि ये स्कूल बिना वैध मान्यता के कक्षाएं संचालित कर रहे थे। इन स्कूलों में न केवल शैक्षिक अनियमितताएं थीं, बल्कि इनके पास बुनियादी सुविधाओं और दस्तावेजों का भी अभाव था। सभी स्कूलों को तत्काल बंद करने का नोटिस जारी किया गया है, और नियमों का पालन न करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
छापेमारी में क्या मिला?
शिक्षा विभाग की टीम ने चार स्कूलों का निरीक्षण किया, जिनमें निम्नलिखित अनियमितताएं पाई गईं:
- संत ज्ञान सागर पब्लिक स्कूल, कमाल खां:
- यह स्कूल नर्सरी से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई करा रहा था, लेकिन इसके पास केवल प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5) की मान्यता थी।
- स्कूल का पंजीकृत पता भी गलत पाया गया, जो दूसरी जगह दर्ज था।
- निरीक्षण के दौरान स्कूल में कक्षाएं चल रही थीं, लेकिन कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया।
- स्कूल को तत्काल बंद करने का नोटिस जारी किया गया।
- एसएस पब्लिक स्कूल, कमाल खां:
- इस स्कूल में नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई हो रही थी, लेकिन इसके पास कोई मान्यता नहीं थी।
- बुनियादी सुविधाओं और शैक्षिक मानकों का अभाव पाया गया।
- इसे भी तत्काल बंद करने का नोटिस दिया गया।
- संत जीएस कॉलेज, ख्वासपुरा:
- स्कूल नर्सरी से दसवीं कक्षा तक संचालित हो रहा था, लेकिन इसके पास मान्यता से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं थे।
- निरीक्षण में पाया गया कि स्कूल बिना किसी वैधानिक अनुमति के चल रहा था।
- तत्काल बंद करने का नोटिस जारी किया गया।
- विद्या भारती स्कूल, नरीपुरा:
- यह स्कूल नर्सरी से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई करा रहा था, लेकिन इसके पास केवल प्राथमिक स्तर की मान्यता थी।
- उच्च कक्षाओं के लिए कोई वैध अनुमति नहीं थी।
- स्कूल को तत्काल बंद करने का नोटिस दिया गया।
शिक्षा विभाग की कार्रवाई और चेतावनी
खंड शिक्षाधिकारी सुमित कुमार ने बताया कि इन स्कूलों में न केवल शिक्षा के मानकों का उल्लंघन हो रहा था, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा था। बिना मान्यता के स्कूल चलाना गैरकानूनी है और उत्तर प्रदेश शिक्षा अधिनium के तहत दंडनीय अपराध है। सभी चार स्कूलों को तत्काल बंद करने के निर्देश दिए गए हैं, और नियमों का पालन न करने पर स्कूल संचालकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि इस तरह की छापेमारी का अभियान आगे भी जारी रहेगा। शहर में अन्य अवैध स्कूलों की जांच के लिए टीमें गठित की गई हैं, और जनता से भी ऐसे स्कूलों की शिकायत करने की अपील की गई है। शिकायत के लिए शिक्षा विभाग के हेल्पलाइन नंबर (0562-2521116) पर संपर्क किया जा सकता है।
अवैध स्कूलों का खतरा
बिना मान्यता के संचालित होने वाले स्कूल बच्चों की शिक्षा और भविष्य के लिए गंभीर खतरा हैं। ऐसे स्कूलों में न तो योग्य शिक्षक होते हैं, न ही उचित पाठ्यक्रम और बुनियादी सुविधाएं। कई बार ये स्कूल गलत पाठ्य सामग्री और अवैध तरीकों से बच्चों को पढ़ाते हैं, जिससे उनकी शैक्षिक योग्यता पर सवाल उठते हैं। इसके अलावा, इन स्कूलों में सुरक्षा मानकों का पालन भी नहीं होता, जिससे बच्चों की जान को खतरा हो सकता है।
आगरा में पहले भी कई अवैध स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन यह समस्या अब भी बनी हुई है। शिक्षा विभाग ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को केवल मान्यता प्राप्त स्कूलों में ही दाखिला दिलाएं। स्कूल की मान्यता की जांच के लिए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट या स्थानीय शिक्षा कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।
सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव
इस कार्रवाई ने आगरा में शिक्षा व्यवस्था की खामियों को फिर से उजागर किया है। अभिभावकों में इन अवैध स्कूलों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, और वे अब अपने बच्चों के दाखिले से पहले स्कूलों की मान्यता की जांच करने लगे हैं। स्थानीय निवासी रमेश शर्मा ने बताया कि कई अभिभावक कम फीस के लालच में अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में भेज देते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि ये स्कूल गैरकानूनी हैं। शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई को स्थानीय लोगों ने सराहा है और मांग की है कि ऐसी छापेमारी नियमित रूप से हो।