यूपी समेत देशभर में आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई: फर्जी चंदे के नाम पर टैक्स चोरी का भंडाफोड़, 200 ठिकानों पर छापेमारी से खुला काला चिट्ठा

आयकर विभाग ने 14 जुलाई 2025 को उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में 200 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर टैक्स चोरी के बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया। यह कार्रवाई राजनीतिक दलों को फर्जी चंदे, शिक्षा शुल्क, चिकित्सा खर्च और अन्य मदों में फर्जी कटौती के जरिए टैक्स छूट हासिल करने वालों के खिलाफ की गई। उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, वाराणसी, अमरोहा, मुरादाबाद, गोंडा और सुल्तानपुर में हुई छापेमारी में बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सरकारी निकायों, शैक्षणिक संस्थानों और उद्यमियों से जुड़े लोग शामिल पाए गए। जांच में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और जमीनी खुफिया जानकारी का इस्तेमाल कर संगठित रैकेट का खुलासा हुआ, जिसमें बिचौलियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और टैक्स सलाहकारों की भूमिका सामने आई। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि फर्जी टीडीएस रिटर्न और बोगस बिलों के जरिए सैकड़ों करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है।

विस्तार

लखनऊ, 15 जुलाई 2025: आयकर विभाग ने सोमवार, 14 जुलाई 2025 को देशभर में टैक्स चोरी के एक बड़े नेटवर्क के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी छापेमारी अभियान चलाया। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में 200 से अधिक ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की गई। यह अभियान उन लोगों और संस्थाओं के खिलाफ था, जो आयकर रिटर्न (आईटीआर) में फर्जी कटौती और छूट का दावा कर टैक्स चोरी में शामिल थे। उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, वाराणसी, अमरोहा, मुरादाबाद, गोंडा और सुल्तानपुर जैसे जिलों में छापेमारी की गई, जहां बिचौलियों, टैक्स अधिवक्ताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के कार्यालयों और घरों को निशाना बनाया गया।

छापेमारी का दायरा और उद्देश्य

आयकर विभाग ने इस कार्रवाई को जमीनी स्तर की खुफिया जानकारी, तीसरे पक्ष से प्राप्त वित्तीय आंकड़ों और उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उपकरणों के विश्लेषण के आधार पर अंजाम दिया। जांच में पाया गया कि कई लोग और संस्थाएं आयकर अधिनियम की धारा 80GGC के तहत राजनीतिक दलों को फर्जी चंदे, शिक्षा शुल्क, चिकित्सा खर्च, मकान किराया भत्ता (HRA), आवास ऋण, इलेक्ट्रिक वाहन ऋण और धर्मार्थ संगठनों को दान के नाम पर फर्जी कटौती का दावा कर रही थीं। कुछ मामलों में, बिचौलियों ने फर्जी टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) रिटर्न दाखिल कर अत्यधिक रिफंड हासिल किए। सीबीडीटी के अनुसार, इस फर्जीवाड़े से सैकड़ों करोड़ रुपये की टैक्स चोरी हुई, जिसने केंद्र सरकार के कर संग्रह को प्रभावित किया।

उत्तर प्रदेश में छापेमारी का विवरण

उत्तर प्रदेश में आयकर विभाग की टीमें निम्नलिखित जिलों में सक्रिय रहीं:

  • नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ: इन शहरों में टैक्स सलाहकारों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के कार्यालयों पर छापेमारी की गई, जहां फर्जी दस्तावेज और बोगस बिल जब्त किए गए।
  • वाराणसी, अमरोहा, मुरादाबाद: इन जिलों में बिचौलियों और निजी व्यक्तियों के ठिकानों पर कार्रवाई हुई, जो फर्जी चंदे के जरिए टैक्स छूट ले रहे थे।
  • गोंडा: बेलसर रोड पर बालाजी एसोसिएट्स के कार्यालय में 15 घंटे तक जांच चली। आयकर और जीएसटी अधिकारियों ने फर्म के कर्मचारियों से पूछताछ की और फर्जी रिटर्न से संबंधित दस्तावेज जब्त किए।
  • सुल्तानपुर: प्राथमिक शिक्षक राम जनम यादव और कूरेभार ब्लॉक में कार्यरत शिक्षिका विमलेश को हिरासत में लिया गया। राम जनम के घर पर 8 घंटे की पूछताछ के दौरान फर्जी रिटर्न दाखिल करने के कागजात मिले। सूत्रों के अनुसार, राम जनम दो दशकों से फर्जी रिटर्न दाखिल कर टैक्स छूट दिलाने का काम कर रहा था।

फर्जीवाड़े का काला चिट्ठा

जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए:

  1. राजनीतिक चंदे का दुरुपयोग: कई व्यक्तियों और संस्थाओं ने धारा 80GGC के तहत गैर-पंजीकृत या कम-ज्ञात राजनीतिक दलों को चंदा देने का दावा कर टैक्स छूट हासिल की। जांच में पाया गया कि ये चंदे वास्तव में बोगस थे, और चंदे की राशि 1-5% कमीशन काटकर हवाला के जरिए दानकर्ताओं को वापस कर दी जाती थी।
  2. फर्जी टीडीएस और बिल: कुछ बिचौलियों ने 5-10% कमीशन पर फर्जी बिल बनाए, जिनका इस्तेमाल मकान किराया भत्ता, चिकित्सा खर्च, शिक्षा ऋण और इलेक्ट्रिक वाहन ऋण जैसे मदों में छूट लेने के लिए किया गया।
  3. संगठित रैकेट: जांच में पाया गया कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, सरकारी निकायों, शैक्षणिक संस्थानों और उद्यमियों के कर्मचारी इस रैकेट में शामिल थे। कुछ मामलों में, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे बंद समूहों के जरिए टैक्सपेयर्स को फर्जी छूट का लालच दिया गया।
  4. धर्मार्थ और अनुसंधान संगठनों में धोखाधड़ी: कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज और धर्मार्थ संगठनों को दान के नाम पर भी बड़े पैमाने पर छूट का दुरुपयोग हुआ।

सीबीडीटी का बयान और नजदीक अभियान

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अपने बयान में कहा कि यह कार्रवाई आयकर विभाग के “नज” (NUDGE) अभियान के बाद शुरू की गई, जिसमें करदाताओं को संदिग्ध या असमर्थित कटौतियों के बारे में सूचित किया गया था और स्वेच्छा से संशोधित रिटर्न दाखिल करने की सलाह दी गई थी। इसके बावजूद, कई करदाता गलत रिटर्न दाखिल करते रहे, जिसके चलते यह सख्त कार्रवाई की गई। सीबीडीटी ने बताया कि पिछले चार महीनों में लगभग 40,000 करदाताओं ने अपनी गलत कटौतियों को वापस लेते हुए 1,045 करोड़ रुपये की राशि के संशोधित रिटर्न दाखिल किए।

सीबीडीटी के आयकर आयुक्त (मीडिया और तकनीकी नीति) वी. रजिता ने करदाताओं को सलाह दी कि वे अपनी आय और संचार विवरण सही तरीके से दर्ज करें और अनधिकृत एजेंटों या बिचौलियों के बहकावे में न आएं। उन्होंने कहा कि फर्जी रिफंड का वादा करने वाले एजेंटों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

उत्तर प्रदेश में विशिष्ट मामले

  • सुल्तानपुर में शिक्षकों की भूमिका: राम जनम यादव और विमलेश जैसे शिक्षकों ने कथित तौर पर लंबे समय से फर्जी रिटर्न दाखिल करने का काम किया। उनके घरों से बरामद दस्तावेजों ने इस रैकेट की गहराई को उजागर किया।
  • गोंडा में बालाजी एसोसिएट्स: इस फर्म के कार्यालय में 15 घंटे तक चली जांच में फर्जी रिटर्न और बोगस बिलों के सबूत मिले। कर्मचारियों से पूछताछ में रैकेट के व्यापक नेटवर्क का खुलासा हुआ।
  • हवाला का खेल: सुल्तानपुर में अपना देश पार्टी से जुड़े अब्दुल मबूद के ठिकानों पर छापेमारी में 370 करोड़ रुपये के फर्जी चंदे का पता चला। जांच में पाया गया कि मबूद, जो एक घड़ी मरम्मत का व्यवसाय चलाता है, इस रैकेट का हिस्सा था।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

इस फर्जीवाड़े ने भारत की कर व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आयकर भारत सरकार के लिए सबसे बड़ा राजस्व स्रोत है, लेकिन केवल 2% आबादी ही कर योग्य आय की श्रेणी में आती है। इस तरह के रैकेट देश के विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए वित्तीय संसाधनों को कमजोर करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अनियोजित डिजिटल रिटर्न फाइलिंग और कागज रहित प्रणाली का दुरुपयोग इस फर्जीवाड़े का एक प्रमुख कारण है।

सामाजिक कार्यकर्ता अनिल शर्मा ने कहा, “यह रैकेट न केवल कर चोरी का मामला है, बल्कि यह देश की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था पर हमला है। सरकार को ऐसी गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए और जनता को जागरूक करना चाहिए।” स्थानीय लोगों ने भी इस कार्रवाई का स्वागत किया, लेकिन मांग की कि बड़े नेताओं और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो।

कानूनी और भविष्य की कार्रवाई

आयकर विभाग ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता और आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई शुरू की है। बरामद डिजिटल रिकॉर्ड और दस्तावेजों की जांच से इस रैकेट के मास्टरमाइंड्स का पता लगाया जाएगा। सीबीडीटी ने चेतावनी दी है कि गैर-अनुपालन करने वालों के खिलाफ जुर्माना और अभियोजन सहित सख्त कार्रवाई की जाएगी।

विभाग ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए डिजिटल रिटर्न फाइलिंग प्रणाली को और मजबूत किया जाएगा। इसके लिए और अधिक पारदर्शिता और सत्यापन प्रक्रियाओं को लागू करने की योजना है।

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