तकनीकी खराबी पर काबू
केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पिछले एक महीने से खड़ा ब्रिटिश रॉयल नेवी का एफ-35बी स्टील्थ फाइटर जेट अब उड़ान भरने के लिए तैयार है. इस विमान में हाइड्रोलिक सिस्टम और ऑक्सिलरी पावर यूनिट में आई खराबी को ब्रिटिश इंजीनियरों की एक विशेष टीम ने ठीक कर लिया है. यह जेट 14 जून 2025 को अरब सागर में सैन्य अभ्यास के दौरान ईंधन की कमी और प्रतिकूल मौसम के कारण आपातकालीन लैंडिंग के लिए मजबूर हुआ था. मरम्मत के बाद यह विमान जल्द ही अपने बेस, एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स, लौट सकता है.
एफ-35बी में हाइड्रोलिक सिस्टम की खराबी ने ब्रेक और लैंडिंग गियर जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों को प्रभावित किया था, जबकि ऑक्सिलरी पावर यूनिट, जो विमान को शुरू करने और अन्य सिस्टमों को चलाने के लिए बिजली देता है, ने भी काम करना बंद कर दिया था. शुरुआती मरम्मत के प्रयास नाकाम रहे, जिसके बाद ब्रिटेन से विशेष उपकरणों के साथ एक इंजीनियरों की टीम तिरुवनंतपुरम पहुंची. विमान को हवाई अड्डे के मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (एमआरओ) हैंगर में ले जाया गया, जहां गहन जांच और मरम्मत कार्य पूरा हुआ. ब्रिटिश हाई कमीशन ने भारतीय अधिकारियों और भारतीय वायुसेना के सहयोग की सराहना की है.
मरम्मत के बावजूद, ब्रिटिश रॉयल नेवी ने एक सी-17 ग्लोबमास्टर विमान को तिरुवनंतपुरम भेजने का फैसला किया है. यह विमान मरम्मत में इस्तेमाल हुए उपकरणों को वापस ले जाएगा. पहले ऐसी अटकलें थीं कि जेट को खोलकर सी-17 के जरिए ब्रिटेन ले जाया जाएगा, लेकिन मरम्मत की सफलता ने इसकी जरूरत खत्म कर दी. सी-17 का आगमन यह भी सुनिश्चित करेगा कि मरम्मत प्रक्रिया से संबंधित सभी उपकरण सुरक्षित रूप से वापस भेजे जाएं, जिससे गोपनीय तकनीकों की सुरक्षा बनी रहे.
इस घटना ने भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने का एक उदाहरण पेश किया है. भारतीय वायुसेना ने आपातकालीन लैंडिंग के दौरान त्वरित सहायता प्रदान की, और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने विमान की चौबीसों घंटे सुरक्षा सुनिश्चित की. तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे को इस तरह की आपात स्थिति के लिए पहले से ही रिकवरी एयरफील्ड के रूप में नामित किया गया था. ब्रिटिश हाई कमीशन ने भारतीय अधिकारियों के समर्थन को इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बताया.
लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित एफ-35बी एक पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है, जिसकी कीमत 11 करोड़ डॉलर से अधिक है. यह अपने शॉर्ट टेक-ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग (एसटीओवीएल) क्षमता के लिए जाना जाता है, जो इसे विमानवाहक पोत और अस्थायी ठिकानों से संचालन के लिए आदर्श बनाता है. इसकी उन्नत स्टील्थ तकनीक और सेंसर सिस्टम इसे दुश्मन के रडार से बचाने में सक्षम बनाते हैं. इस जेट का तिरुवनंतपुरम में लंबे समय तक रुकना और इसकी मरम्मत ने वैश्विक ध्यान खींचा है.
एफ-35बी की सफल मरम्मत भारत में ब्रिटिश रॉयल नेवी की तकनीकी दक्षता और भारत-ब्रिटेन के मजबूत रक्षा सहयोग को दर्शाती है. यह घटना दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य और तकनीकी सहयोग का प्रतीक है, और जल्द ही यह जेट फिर से आसमान में उड़ान भरने के लिए तैयार होगा.