जी7 शिखर सम्मेलन: पीएम मोदी ने पेश किया भारत का 4ए दृष्टिकोण

ऊर्जा सुरक्षा और एआई पर भारत की रणनीति
कनाडा के कनानास्किस में आयोजित 51वें जी7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊर्जा सुरक्षा पर आउटरीच सत्र को संबोधित किया। उन्होंने भारत के 4ए दृष्टिकोण यानी उपलब्धता, पहुंच, वहनीयता और स्वीकार्यता पर आधारित ऊर्जा सुरक्षा की रणनीति को रेखांकित किया। पीएम मोदी ने कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को आमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया और जी7 समूह को 50वीं वर्षगांठ पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा भविष्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

एआई का महत्व और चुनौतियां
प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऊर्जा के बीच संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एआई कौशल और नवाचार को बढ़ाने का महत्वपूर्ण साधन है, लेकिन यह ऊर्जा की भारी खपत करता है। इसे टिकाऊ बनाने के लिए स्वच्छ और हरित ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता है। मोदी ने भारत के मानव-केंद्रित तकनीकी दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा कि तकनीक तभी प्रभावी है, जब वह लोगों के जीवन को बेहतर बनाए। उन्होंने एआई के लिए वैश्विक शासन और महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला की जरूरत पर भी बल दिया।

भारत की वैश्विक पहल
मोदी ने भारत की हरित और टिकाऊ भविष्य की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने बताया कि भारत ने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले हासिल कर लिया है, जो देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के बावजूद एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा-रोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन और मिशन लाइफ जैसी भारत की वैश्विक पहलों का उल्लेख किया। इन पहलों को और मजबूत करने के लिए उन्होंने वैश्विक समुदाय से सहयोग की अपील की।

वैश्विक सहयोग की अपील
प्रधानमंत्री ने तकनीक-आधारित दुनिया में सतत विकास के लिए वैश्विक सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रगति के केंद्र में लोगों को रखना होगा। भारत में उपलब्ध विविध और उच्च गुणवत्ता वाला डाटा जिम्मेदार एआई विकास के लिए महत्वपूर्ण है। मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकता और जिम्मेदार तकनीकी उपयोग की भी वकालत की। उनकी यह अपील जी7 देशों और वैश्विक दक्षिण के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। यह सत्र ऊर्जा, तकनीक और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग को बढ़ाने पर केंद्रित था।

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