कानपुर DM-CMO विवाद। अखिलेश यादव ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग

कानपुर में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच विवाद ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में सीएमओ को निलंबित कर दिया गया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस विवाद की उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर बयान जारी कर कहा कि केवल ईमानदार व्यक्ति ही प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए सच बयान कर सकता है। अखिलेश ने इस टकराव का सच सामने लाने के लिए तत्काल जांच शुरू करने की अपील की है। इस विवाद ने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है और कई सवाल खड़े किए हैं।

सीएमओ पर लगे गंभीर आरोप
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी पर वित्तीय अनियमितताओं और अस्पतालों से अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों के आधार पर जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की सचिव रितू माहेश्वरी ने गुरुवार को डॉ. नेमी के निलंबन का आदेश जारी किया। निलंबन के बाद सीएमओ को लखनऊ के महानिदेशालय से संबद्ध कर दिया गया है। साथ ही उनके खिलाफ विजिलेंस जांच भी शुरू हो गई है। इस बीच श्रावस्ती के सहायक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ नियुक्त किया गया है।

सीएमओ का पलटवार। डीएम पर लगाए आरोप
निलंबन के बाद डॉ. हरिदत्त नेमी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखी। उन्होंने जिलाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि डीएम उनसे पैसे की मांग कर रहे थे और सिस्टम में शामिल होने का दबाव डाल रहे थे। नेमी ने दावा किया कि जब उन्होंने डीएम के सिस्टम में शामिल होने से इनकार किया तो उनके खिलाफ निलंबन की सिफारिश कर दी गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 16 दिसंबर 2024 को कार्यभार संभालने के बाद से डीएम हर बैठक में जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर उनका उत्पीड़न करते रहे। डॉ. नेमी ने इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है और वे हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

प्रशासनिक विफलता पर सवाल
इस विवाद ने उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं। अखिलेश यादव ने इसे प्रशासनिक विफलता का उदाहरण बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच अंतर्निहित तनाव से भी जोड़ा जा रहा है। यह मामला न केवल कानपुर बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। लोग इस बात पर नजर रखे हुए हैं कि इस जांच का परिणाम क्या होगा और क्या यह विवाद प्रशासनिक सुधारों की दिशा में कोई कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगा। यह खबर कॉपीराइट मुक्त है और इसे वेबसाइट पर प्रकाशित किया जा सकता है।

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