- 2024 के बाद सरकारों की पहली समीक्षा, वनइंडिया का गवर्नेस सर्वे होगा गेम-चेंजर
- पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार पर कंट्रोल: सर्वे में ये मुद्दे होंगे अहम
- ऑनलाइन-ऑफलाइन सर्वे, हर वर्ग की आवाज को मिलेगा मंच
2024 के विधानसभा चुनावों के बाद कई राज्य सरकारें अपने कार्यकाल का पहला साल पूरा कर रही हैं. ऐसे में वनइंडिया, पॉलिटिकल वाइब के साथ मिलकर, एक अभूतपूर्व और व्यापक गवर्नेस सर्वे शुरू करने जा रहा है. इस सर्वे का उद्देश्य है भारत के शासन की स्थिति को गहराई से समझना और देश की जनता का वास्तविक मूड जानना. यह सर्वे न केवल सरकारों के प्रदर्शन की समीक्षा करेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि लोग अपने नेताओं और उनकी नीतियों के बारे में क्या सोचते हैं.
क्या है वनइंडिया गवर्नेस सर्वे 2025?
वनइंडिया का यह सर्वे सिर्फ एक रायशुमारी नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध और डेटा-आधारित प्रयास है, जो सरकारों के एक साल के कार्यकाल को परखेगा. यह पहल देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जनता की राय को सामने लाएगी, जिसमें पारदर्शिता, जवाबदेही, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता और जनता की संतुष्टि जैसे अहम मुद्दों पर फोकस होगा. यह सर्वे भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने और नागरिकों की आवाज को नीति-निर्माताओं तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
सर्वे का डिजाइन और व्यापकता
वनइंडिया और पॉलिटिकल वाइब की अनुभवी एनालिटिक्स टीम ने इस सर्वे को शहरों और गांवों, विभिन्न जातियों, वर्गों, लिंग और पीढ़ियों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया है. यह भारत की राजनीतिक और सामाजिक विविधता को प्रतिबिंबित करेगा. सर्वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से होगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी राय दे सकें. इसके बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे जनता के साथ साझा किया जाएगा.
किन मुद्दों पर होगा फोकस?
यह सर्वे शासन से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं की पड़ताल करेगा, जिनमें शामिल हैं:
- चुनावी वादों का अमल: सरकारें अपने वादों को कितना पूरा कर रही हैं?
- प्रशासन की जवाबदेही: सरकार कितनी पारदर्शी और जवाबदेह है?
- बुनियादी ढांचा: सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाओं में कितनी प्रगति हुई?
- जनकल्याणकारी योजनाएं: योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंच रहा है या नहीं?
- नेतृत्व की विश्वसनीयता: क्या लोग अपने नेताओं पर भरोसा करते हैं?
क्यों है यह सर्वे अहम?
आज का वोटर समझदार और जागरूक है. शासन अब केवल एक सामान्य मुद्दा नहीं, बल्कि वोटरों के फैसले का आधार है. यह सर्वे न केवल सरकारों के प्रदर्शन को आंकेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि जनता का मूड क्या है और वे अपने नेताओं से क्या अपेक्षा करते हैं. खासकर जब 2025 में बिहार, 2026 में तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों और 2027 में उत्तर प्रदेश, पंजाब जैसे राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, यह सर्वे राजनीतिक व्यवहार को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.