- खराब मौसम में फंसी इंडिगो फ्लाइट, पाकिस्तान ने क्यों ठुकराई आपात अनुमति?
- 1944 शिकागो कन्वेंशन: क्या कहता है हवाई क्षेत्र का अंतरराष्ट्रीय कानून?
- ICAO की भूमिका और सजा की संभावना: क्या हो सकता है परिणाम?
21 मई 2025 को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो फ्लाइट 6E 2142 खराब मौसम और भारी टर्बुलेंस में फंस गई थी. तूफान से बचने के लिए पायलट ने लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति मांगी, लेकिन पाकिस्तान ने इसे ठुकरा दिया. मजबूरन विमान को तूफान के बीच ही श्रीनगर तक का सफर तय करना पड़ा, जहां यह सुरक्षित उतरा. इस घटना ने सवाल खड़े किए हैं कि क्या पाकिस्तान ने आपात स्थिति में नियम तोड़े? और यदि कोई दुर्घटना हो जाती, तो क्या इसके लिए पाकिस्तान को सजा मिल सकती थी?
1944 शिकागो कन्वेंशन और हवाई क्षेत्र का कानून
1944 के शिकागो कन्वेंशन के तहत हर देश को अपने हवाई क्षेत्र पर पूर्ण संप्रभुता प्राप्त है. इसका मतलब है कि कोई भी देश यह तय कर सकता है कि उसके हवाई क्षेत्र में कौन प्रवेश कर सकता है और कौन नहीं. अंतरराष्ट्रीय सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) इस कन्वेंशन का आधार है, जो हवाई यातायात को नियंत्रित करता है. सामान्य परिस्थितियों में देश अपने हवाई क्षेत्र को कूटनीतिक कारणों से बंद कर सकते हैं, खासकर जब दो देशों के बीच तनाव हो, जैसा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद देखा गया.
पाकिस्तान ने हाल ही में भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था, जो 23 मई 2025 तक लागू है, जब तक इसे और न बढ़ाया जाए. इस घटना में पाकिस्तान ने इंडिगो फ्लाइट को आपात स्थिति में भी अनुमति नहीं दी, जिसे कई लोग मानवीय आधार पर गलत मान रहे हैं.
क्या पाकिस्तान ने नियम तोड़े?
शिकागो कन्वेंशन के अनुसार, कोई भी देश अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने या अनुमति न देने का फैसला ले सकता है, भले ही वह आपात स्थिति हो. यह कोई बाध्यकारी नियम नहीं है कि देश को आपातकाल में हवाई क्षेत्र खोलना ही होगा. हालांकि, मानवीय और नैतिक आधार पर ज्यादातर देश ऐसी परिस्थितियों में सहयोग करते हैं, जैसे कि खराब मौसम, मेडिकल इमरजेंसी या इंजन फेल होने की स्थिति में. पाकिस्तान का इनकार भारत-पाक तनाव से जुड़ा माना जा रहा है, खासकर पहलगाम हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी.
क्या ICAO सजा दे सकता है?
ICAO के पास किसी देश को सीधे सजा देने का अधिकार नहीं है. यह संगठन केवल सिफारिशें जारी कर सकता है या मध्यस्थता कर सकता है. अगर कोई देश जानबूझकर आपात स्थिति में हवाई क्षेत्र बंद करता है और इससे जान-माल का नुकसान होता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना जा सकता है. ऐसे मामले संयुक्त राष्ट्र (UN) या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में उठाए जा सकते हैं. उदाहरण के लिए, 1988 में अमेरिका ने गलती से ईरान एयर की फ्लाइट को मार गिराया था, जिसमें 290 लोग मारे गए थे. ईरान ने ICJ में मामला उठाया, और अमेरिका को मुआवजा देना पड़ा था.
हालांकि, यह साबित करना जरूरी होता है कि हवाई क्षेत्र न खोलने का फैसला जानबूझकर और गलत इरादे से लिया गया, जिससे जान को खतरा हुआ. इंडिगो फ्लाइट के मामले में, विमान सुरक्षित उतर गया, इसलिए सजा की संभावना कम है. लेकिन अगर कोई हादसा हो जाता, तो भारत इस मुद्दे को ICAO या UN में उठा सकता था, जिससे पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बढ़ सकता था.
एयरस्पेस बंद करने का तरीका
हवाई क्षेत्र की कोई भौतिक सीमा नहीं होती, लेकिन इसे नोटिस टू एयरमैन (NOTAM) के जरिए बंद किया जाता है. NOTAM एक आधिकारिक चेतावनी है, जो किसी खास समय या देश के लिए हवाई क्षेत्र को प्रतिबंधित करती है. पाकिस्तान ने हाल ही में भारतीय विमानों के लिए NOTAM जारी किया था. एयर ट्रैफिक कंट्रोल और सैन्य निगरानी यह सुनिश्चित करती है कि कोई विमान बिना अनुमति प्रवेश न करे.
बिना अनुमति प्रवेश करने की सजा
अगर कोई विमान बिना अनुमति हवाई क्षेत्र में घुसता है, तो पहले रेडियो पर चेतावनी दी जाती है. अगर फिर भी बात न बने, तो फाइटर जेट भेजकर विमान को सीमा से बाहर किया जाता है. अत्यंत गंभीर स्थिति में, जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने पर, विमान को मार गिराने का भी प्रावधान है. यह नियम 9/11 हमलों के बाद और सख्त हुआ, जब यह स्पष्ट हुआ कि यात्री विमान भी हथियार के रूप में इस्तेमाल हो सकते हैं.