आगरा। आगरा में प्रॉपर्टी खरीदना अब और महंगा होने वाला है। प्रशासन ने सर्किल रेट में बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसके तहत शहर के पुराने बाजारों में दुकानों के दामों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह प्रस्ताव 2017 के बाद पहली बार सर्किल रेट में संशोधन का हिस्सा है। नए सर्किल रेट 20 जुलाई 2025 से लागू होने की संभावना है. पुराने बाजारों जैसे सुभाष बाजार, सेठ गली, बेलनगंज, मोतीगंज और हाथीघाट में दुकानों का सर्किल रेट 1.30 लाख रुपये प्रति वर्गमीटर से बढ़कर 1.95 लाख रुपये तक प्रस्तावित किया गया है. इस बदलाव से पुराने बाजारों में दुकान खरीदना पहले की तुलना में काफी महंगा हो जाएगा।
प्रमुख क्षेत्रों और सड़कों पर सर्किल रेट में बढ़ोतरी
प्रस्तावित सर्किल रेट के अनुसार, शहर के प्रमुख सड़कों और क्षेत्रों में भी रेट में 30 से 50 फीसद तक की बढ़ोतरी होगी। सिंधी बाजार, किनारी बाजार, हॉस्पिटल रोड, मॉल रोड, फतेहाबाद रोड, खेरिया मोड़ रोड, ईदगाह रोड और कैंट स्टेशन रोड जैसे सेगमेंट रोड पर व्यावसायिक संपत्तियों के लिए सर्किल रेट में 40 से 50 फीसद की वृद्धि प्रस्तावित है। उदाहरण के लिए, ग्वालियर रोड पर बिजलीघर से नौलक्खा तक दुकानों का सर्किल रेट 1.30 लाख से बढ़कर 1.95 लाख रुपये प्रति वर्गमीटर और आवासीय रेट 36 हजार से 54 हजार रुपये तक प्रस्तावित है। इसी तरह एमजी रोड पर हरीपर्वत से नालबंद तक आवासीय रेट 83 हजार से बढ़कर 1.20 लाख रुपये प्रति वर्गमीटर हो जाएगा।
कमला नगर, बल्केश्वर, जयपुर हाउस, दयालबाग, आवास विकास सेक्टर 1 से 16, ताजगंज, शास्त्रीपुरम, सिकंदरा, बोदला, शाहगंज और बेलनगंज जैसे प्रमुख आवासीय क्षेत्रों में सर्किल रेट में 30 से 35 फीसद की बढ़ोतरी होगी। ग्रामीण क्षेत्रों जैसे एत्मादपुर, किरावली, खेरागढ़, फतेहाबाद और बाह में आवासीय और व्यावसायिक सर्किल रेट में 25 से 30 फीसद की वृद्धि प्रस्तावित है, जबकि ग्रामीण सेगमेंट रोड पर 35 फीसद तक बढ़ोतरी होगी।
प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
नए सर्किल रेट लागू होने से प्रॉपर्टी खरीदने वालों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ेगा, क्योंकि सर्किल रेट के आधार पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क की गणना होती है। विशेष रूप से पुराने बाजारों में दुकान खरीदने की चाह रखने वालों को अब अधिक निवेश करना होगा। प्रशासन का यह कदम बाजार मूल्य और सर्किल रेट के बीच के अंतर को कम करने की दिशा में उठाया गया है, ताकि प्रॉपर्टी लेनदेन में पारदर्शिता बढ़े। हालांकि इस बढ़ोतरी से प्रॉपर्टी बाजार में मांग पर असर पड़ सकता है, खासकर उन खरीदारों पर जो सीमित बजट में निवेश की योजना बना रहे हैं।