8 जुलाई 2025 को सुबह 10:30 बजे, बलरामपुर के मधपुर गांव में जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की अवैध रूप से बनी आलीशान कोठी पर जिला प्रशासन ने बुलडोजर चलाया। यह कोठी ग्राम सभा की जमीन (गाटा संख्या 337/370) पर अवैध कब्जे के तहत बनी थी। सुबह 9:00 बजे भारी पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। गेट पर ताला लगा होने के कारण पुलिस ने गैस कटर से ताला काटकर अंदर प्रवेश किया। सीओ उतरौला राघवेंद्र सिंह ने निरीक्षण के बाद बाईं ओर से निर्माण ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की।
पहले से दी गई थी चेतावनी
सोमवार शाम 6:30 बजे प्रशासन ने कोठी पर बेदखली का नोटिस चस्पा किया था, जिसमें 7 दिन में अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी गई थी। तहसीलदार उतरौला ने 15 मई, 26 मई, और 6 जून को भी नोटिस जारी किए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। मंगलवार को दो बुलडोजरों के साथ प्रशासन ने अवैध निर्माण को ढहाना शुरू किया।
स्थानीय प्रतिक्रिया
कोठी में रह रहे लोगों, खासकर छांगुर की बहू साबिरा ने कार्रवाई का विरोध किया और आरोप लगाया कि पुलिस की मौजूदगी से बच्चे डरे हुए हैं। प्रभारी निरीक्षक अवधेश राज सिंह ने इन आरोपों को निराधार बताया। कार्रवाई के दौरान गेट के दाईं ओर बनी दो मंजिला इमारत में रह रहे लोगों को बाहर निकलने के निर्देश दिए गए। मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई।
सामुदायिक आक्रोश
सिख और सिंधी समुदाय ने छांगुर बाबा के खिलाफ गैर-मुस्लिम लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण कराने के आरोपों पर गुस्सा जताया। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सख्त कार्रवाई और ऐसे अपराधियों को फांसी की सजा देने की मांग की है।
यूएई कनेक्शन और जांच
यूपी एटीएस छांगुर बाबा की सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन और नवीन घनश्याम रोहरा के यूएई नेटवर्क की जांच कर रही है। नीतू ने 2014-2019 और नवीन ने 2016-2020 के बीच 19-19 बार यूएई की यात्रा की। 16 नवंबर 2015 को दोनों का धर्मांतरण दुबई के अल फारुख उमर बिन कताब सेंटर में हुआ था, जिसे दुबई सरकार ने प्रमाणित किया। जांच में संदेह है कि गिरोह ने अलग-अलग नामों से पासपोर्ट बनवाए और खाड़ी देशों से 100 करोड़ रुपये की फंडिंग प्राप्त की।
छांगुर बाबा का बैकग्राउंड
जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, जो खुद को हाजी पीर जलालुद्दीन के नाम से प्रचारित करता था, लंबे समय से बलरामपुर के उतरौला में धर्मांतरण का नेटवर्क चला रहा था। उसने 2005 में अपने करीबी को ग्राम प्रधान का चुनाव जितवाया और 2015 में खुद प्रधान बना। 2022 में उसने अपने बेटे महबूब को चुनाव में उतारा, लेकिन वह हार गया। उसका नेटवर्क यूपी के अलावा हरियाणा, महाराष्ट्र, मुरादाबाद, और नोएडा तक फैला था।
आगे की कार्रवाई
- ईडी की जांच: यूपी एटीएस ने 100 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग का ब्यौरा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भेजा है।
- सीबीआई की नजर: सीबीआई भी इस नेटवर्क की जांच में शामिल हो गई है और छांगुर के सहयोगियों की तलाश कर रही है।
- संपत्तियों की जांच: छांगुर की अन्य संपत्तियों, जैसे उतरौला में प्लॉट और व्यावसायिक दुकान, की भी जांच चल रही है।
अपील
यह मामला अवैध धर्मांतरण और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर करता है। नागरिकों से अनुरोध है कि ऐसी गतिविधियों की जानकारी तुरंत प्रशासन को दें। शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सहयोग करें।