लखनऊ के रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (आरएसएसी) में 7 जुलाई 2025 को आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन ने मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही अंतरिक्ष में अपना स्वयं का स्पेस स्टेशन स्थापित करेगा। इसके अलावा, बिजली गिरने की सटीक भविष्यवाणी करने वाली तकनीक विकसित की जाएगी, जो उत्तर प्रदेश में हर साल औसतन 300 लोगों की जान लेने वाली वज्रपात की घटनाओं को रोकने में मदद करेगी।
रिमोट सेंसिंग की भूमिका
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी का महत्व प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों—कृषि, सिंचाई, लोक निर्माण, ग्रामीण विकास, चिकित्सा, स्वास्थ्य, वन, पर्यावरण, खनन, आवास, शहरी नियोजन, पंचायती राज, राजस्व, सामाजिक विकास, और आपदा प्रबंधन—में तेजी से बढ़ रहा है। यह तकनीक इन क्षेत्रों में नीति निर्माण और कार्यान्वयन को और प्रभावी बनाने में सहायक होगी।
प्रमुख उपस्थित लोग
कार्यशाला में निम्नलिखित प्रमुख लोग मौजूद रहे:
- पंधारी यादव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
- आलोक कुमार, प्रमुख सचिव नियोजन
- नवीन कुमार, एडीजी
- अनुज झा, सचिव शहरी विकास
- शीलधर सिंह यादव, निदेशक, आरएसएसी
- डॉ. सुधाकर शुक्ला, विभागाध्यक्ष
- डॉ. जेवी थॉमस, निदेशक, ईडीपीओ-इसरो
महत्वपूर्ण बिंदु
- स्पेस स्टेशन: भारत का अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन बनाने का लक्ष्य, जो अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया मील का पत्थर होगा।
- वज्रपात रोकथाम: बिजली गिरने की सटीक भविष्यवाणी के लिए नई तकनीक विकसित करने पर जोर, जिससे जान-माल की हानि को रोका जा सके।
- रिमोट सेंसिंग का उपयोग: विभिन्न सरकारी विभागों में रिमोट सेंसिंग के उपयोग को बढ़ावा देने की योजना।
अपील
यह घोषणा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और आपदा प्रबंधन में तकनीकी प्रगति की दिशा में एक बड़ा कदम है। नागरिकों से अनुरोध है कि वे इसरो और सरकारी पहलों का समर्थन करें ताकि ऐसी तकनीकों का लाभ समाज तक पहुंचे।