आगरा में आठ साल से सर्किल रेट लिस्ट में खसरा नंबर छिपाकर स्टांप चोरी का बड़ा घोटाला सामने आया है। सड़क किनारे और लिंक मार्गों पर स्थित भूमि, मकानों और दुकानों के बैनामे में स्टांप ड्यूटी कृषि भूमि की दरों पर ली गई। इससे सरकार को करीब 500 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। उप निबंधक, सहायक महानिरीक्षक से लेकर कातिब तक इस मामले में चुप्पी साधे रहे।
घोटाले का खुलासा
2017 से 2025 तक सर्किल रेट लिस्ट में खसरा नंबर दर्ज नहीं किए गए। नई सर्किल रेट लिस्ट पर आई आपत्तियों के बाद यह घपला उजागर हुआ। निबंधन विभाग में अब हड़कंप मचा है। जन प्रहरी संस्था के संयोजक नरोत्तम सिंह शर्मा ने बताया कि सड़क किनारे हुए बैनामों का सत्यापन कराया जाए तो स्टांप चोरी का सबसे बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री को भेजी है। एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला ने कहा कि नई सर्किल रेट लिस्ट में सड़क और लिंक मार्गों के खसरा नंबर दर्ज किए जाएंगे। पुरानी लिस्ट की कमियों को दूर किया जा रहा है
।बैनामों में गड़बड़ी
बड़ी धनराशि के बैनामों के सत्यापन में भी अनियमितताएं पाई गई हैं। सड़क किनारे की महंगी जमीनों को कृषि भूमि के रूप में दिखाकर कम स्टांप ड्यूटी वसूली गई। इससे न केवल राजस्व का नुकसान हुआ, बल्कि नियमों की खुलेआम अनदेखी भी हुई। निबंधन विभाग अब इस मामले की जांच में जुट गया है।
सर्किल रेट पर आपत्तियां
नई सर्किल रेट लिस्ट सार्वजनिक होने के बाद बुधवार तक 32 आपत्तियां दर्ज की गई हैं। एत्मादपुर के किसान सर्किल रेट बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि 15 साल पुरानी सर्किल रेट के आधार पर उन्हें भूमि अधिग्रहण का मुआवजा मिला, जिससे वे दूसरी जगह जमीन नहीं खरीद सकते। बिल्डर भी प्रोजेक्ट्स की खराब स्थिति को लेकर आपत्ति जता रहे हैं। सर्किल रेट पर आपत्ति दर्ज करने का अंतिम दिन गुरुवार है। शुक्रवार से आपत्तियों की सुनवाई शुरू होगी और 15 से 20 जुलाई के बीच नई दरें लागू हो सकती।
हैंजांच की मांग
इस घोटाले ने निबंधन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोग और संगठन पुराने बैनामों की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह मामला आगरा में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है।