“आगरा में किसानों का अनोखा प्रदर्शन: सिर पर मूंग लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे, डीएम के आदेश पर तुरंत शुरू हुई खरीद”

आगरा के फतेहपुर सीकरी में मूंग की फसल की खरीद के लिए केंद्र न खुलने से परेशान किसानों का सब्र शुक्रवार को टूट गया। अपनी मेहनत की फसल को उचित दाम पर बेचने की मांग को लेकर किसानों ने अनोखा प्रदर्शन किया। वे सिर पर तसले में मूंग भरकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और नारेबाजी की। किसानों की मांग थी कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर उनकी मूंग की खरीद की जाए। उनके इस जोशीले प्रदर्शन को देखते हुए जिलाधिकारी (डीएम) ने तत्काल मूंग खरीद केंद्र शुरू करने के निर्देश दिए, जिसके बाद सीकरी केंद्र पर खरीद शुरू हो गई।

घटना का पूरा विवरण:

फतेहपुर सीकरी क्षेत्र के किसान लंबे समय से मूंग की खरीद के लिए सरकारी केंद्र खुलने का इंतजार कर रहे थे। किसान मजदूर नेता चौधरी दिलीप सिंह ने बताया कि किरावली तहसील के फतेहपुर सीकरी मंडी परिसर और एत्मादपुर तहसील की शाहदरा अनाज मंडी में मूंग खरीद केंद्र खोले जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन ये केंद्र शुरू नहीं हुए। इस देरी के कारण किसानों को मजबूरी में निजी मंडियों में अपनी फसल 6000 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल की कम कीमत पर बेचनी पड़ रही थी, जबकि केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 8682 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।

इस अन्याय के खिलाफ किसानों ने शुक्रवार (11 जुलाई 2025) को आगरा कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करने का फैसला किया। सैकड़ों किसान सिर पर तसले में मूंग भरकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और जोरदार नारेबाजी की। उनके नारे थे, “चाहे जो मजबूरी हो, मूंग खरीद जरूरी हो!” इस प्रदर्शन में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) धीरज के अध्यक्ष धीरज सिकरवार, प्रदीप शर्मा, सोबरन सिंह चाहर, राजकुमार चौधरी, रुपेश खिरवार, बलुआ, भगवान सिंह बघेल, जितेंद्र चौधरी, रणजीत सिंह, सोनू चौधरी, बलवीर सिंह सहित कई अन्य किसान शामिल थे।

डीएम की त्वरित कार्रवाई:

किसानों के इस अनोखे और प्रभावशाली प्रदर्शन ने प्रशासन का ध्यान खींचा। जिलाधिकारी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए फतेहपुर सीकरी में मूंग खरीद केंद्र शुरू करने के आदेश दिए। डीएम के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट वेद सिंह चौहान, एआर कोआपरेटिव विमल कुमार, और तहसीलदार किरावली दीपांकर तुरंत सीकरी खरीद केंद्र पर पहुंचे। वहां मूंग की खरीद शुरू की गई। पहले दिन ही 6-7 किसानों से लगभग 80-100 क्विंटल मूंग की खरीद की गई, जिससे किसानों को राहत मिली।

किसानों की समस्या और मांग:

किसानों का कहना है कि सरकारी खरीद केंद्रों की कमी और देरी के कारण उन्हें निजी मंडियों में अपनी फसल कम दाम पर बेचनी पड़ रही है। मूंग की फसल की खेती में मेहनत और लागत अधिक होती है, और सरकार द्वारा घोषित MSP पर खरीद न होने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। किसानों ने मांग की कि सभी घोषित खरीद केंद्रों को तुरंत शुरू किया जाए और भविष्य में ऐसी देरी न हो।

प्रदर्शन का प्रभाव:

किसानों के इस प्रदर्शन ने न केवल प्रशासन को त्वरित कार्रवाई के लिए मजबूर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि संगठित प्रयास और एकजुटता से किसान अपनी मांगों को मनवा सकते हैं। सीकरी केंद्र पर खरीद शुरू होने से किसानों में आशा की किरण जगी है, और वे अब अन्य केंद्रों के खुलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

सामाजिक और आर्थिक संदर्भ:

यह घटना उत्तर प्रदेश में किसानों की समस्याओं को उजागर करती है, जहां MSP की घोषणा के बावजूद खरीद केंद्रों की कमी और देरी से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। यह प्रदर्शन अन्य क्षेत्रों के किसानों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है कि वे अपनी मांगों के लिए संगठित होकर आवाज उठाएं।

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