आगरा शहर में मेट्रो के एलिवेटेड ट्रैक के निर्माण ने एमजी रोड, हाइवे, और माल रोड को जाम की जद में ला दिया है। करीब 15 किलोमीटर की सड़क पर बेरिकेडिंग के कारण रास्ते संकरे हो गए हैं, जिससे 10 मिनट का सफर अब 50 से 60 मिनट में पूरा हो रहा है। बारिश के कारण जलभराव और खुदाई की मिट्टी से सड़कों पर कीचड़ फैल रहा है, जिससे वाहन फिसल रहे हैं। मंडलायुक्त के वैकल्पिक मार्ग बनाने के निर्देशों को नजरअंदाज करने से शहरवासियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। अगले दो साल तक यह हालात बने रहने की आशंका है, और प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है।
मेट्रो निर्माण और जाम की स्थिति
आगरा में मेट्रो के एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। यह कार्य कैंट स्टेशन से प्रतापपुरा चौराहा, जी-20 चौराहा होते हुए वीआईपी माल रोड, सूरसदन से एमजी रोड पर प्रतापपुरा चौराहा, और हाइवे पर खंदारी से सिकंदरा तक फैला हुआ है। इस 15 किलोमीटर लंबे खंड पर बेरिकेडिंग के कारण सड़कें संकरी हो गई हैं, जिससे हाइवे, एमजी रोड, और माल रोड पर दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। सुभाष पार्क से जिलाधिकारी कार्यालय और हाइवे पर सिकंदरा से गुरुद्वारा तक वाहन रेंगने को मजबूर हैं। बारिश के मौसम में जलभराव और खुदाई की मिट्टी से सड़कों पर कीचड़ फैल रहा है, जिससे वाहन चालकों को फिसलन का सामना करना पड़ रहा है।
सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की कमी
मेट्रो निर्माण के दौरान सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की घोर लापरवाही सामने आई है। यातायात पुलिस और मेट्रो अधिकारियों की उदासीनता के कारण वाहन जाम में फंस रहे हैं। जनप्रहरी संस्था के संयोजक नरोत्तम सिंह शर्मा ने आरोप लगाया कि मेट्रो, पुलिस, और प्रशासनिक अधिकारियों के गैर-जिम्मेदार रवैये से पूरा शहर जाम की चपेट में है। उन्होंने कहा कि सड़कों पर न तो पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम हैं और न ही यातायात को सुचारू करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यह स्थिति दो साल तक रही, तो शहरवासियों का जीना मुहाल हो जाएगा।
मंडलायुक्त के निर्देश बेअसर
मेट्रो निर्माण से उत्पन्न जाम और अव्यवस्था को देखते हुए मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह ने नगर निगम, यातायात पुलिस, परिवहन विभाग, और जिला प्रशासन को वैकल्पिक मार्ग निर्धारित करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने वैकल्पिक मार्गों की मरम्मत और डायवर्जन की व्यवस्था करने को कहा था। हालांकि, इन निर्देशों का कोई असर नहीं हुआ। वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था नहीं होने और डायवर्जन के अभाव में लोग घंटों जाम में फंस रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की इस लापरवाही पर नाराजगी जताई है और इसे शहरवासियों के साथ मजाक बताया है।
प्रशासन का आश्वासन
जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने जाम की समस्या को गंभीरता से लेते हुए इसे जल्द दूर करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि पुलिस कमिश्नर और संबंधित विभागों से कार्य योजना मांगी जाएगी। साथ ही, यातायात प्रबंधन और वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, स्थानीय लोग इस आश्वासन को तब तक अधूरा मान रहे हैं, जब तक ठोस कार्रवाई नहीं होती।
शहरवासियों की परेशानी
मेट्रो निर्माण के कारण एमजी रोड और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, और बाजार जाने वाले लोग रोजाना जाम का सामना कर रहे हैं। बारिश के कारण सड़कों पर कीचड़ और जलभराव ने पैदल यात्रियों और दोपहिया वाहन चालकों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि जाम के कारण ग्राहक दुकानों तक नहीं पहुंच पा रहे, जिससे उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है।
समाज और प्रशासन के लिए सवाल
यह स्थिति न केवल शहरवासियों की दिनचर्या को प्रभावित कर रही है, बल्कि मेट्रो जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के प्रबंधन पर भी सवाल उठा रही है। मेट्रो निर्माण शहर के विकास के लिए जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि वैकल्पिक मार्गों की मरम्मत, यातायात पुलिस की तैनाती, और जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।