आगरा में परिषदीय स्कूलों में किताबों का घोटाला: बच्चों को वितरण के बजाय छिपाई गईं पुस्तकें, डीएम ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश

आगरा के परिषदीय विद्यालयों में नया शैक्षिक सत्र शुरू हुए एक पखवाड़ा बीत गया, लेकिन 2.25 लाख बच्चों को अभी तक पाठ्यपुस्तकें नहीं मिलीं। इसके बजाय, किताबों को वितरित करने की जगह छिपाने का खेल सामने आया है। खेरागढ़ में 2600 पुस्तकें छिपाने की कोशिश पकड़ी गई, और सैंया में एक टेंपो में किताबें ले जाते हुए वीडियो वायरल होने से हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी (डीएम) अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) से पुस्तक वितरण की रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन चार दिन बाद भी कोई जवाब नहीं मिला। डीएम ने सैंया मामले में सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी (एबीएसए) की लापरवाही की जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।

विस्तार

आगरा जिले के 2451 परिषदीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले लगभग 2.25 लाख बच्चों के लिए नया शैक्षिक सत्र 1 जुलाई 2025 से शुरू हो चुका है। लेकिन, बच्चों के बस्तों में किताबें अब तक नहीं पहुंचीं। इसके उलट, पाठ्यपुस्तकों को ब्लॉक संसाधन केंद्रों (बीआरसी) और अन्य स्थानों पर छिपाने का गंभीर मामला सामने आया है। इस मुद्दे को अमर उजाला ने प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की। खेरागढ़ में एसडीएम की छापेमारी में 2600 पुस्तकें बरामद की गईं, और सैंया में किताबें टेंपो में ले जाकर छिपाने की कोशिश का वीडियो वायरल होने से शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

खेरागढ़ में छापेमारी और पुस्तकों की बरामदगी

अमर उजाला की रिपोर्ट के बाद खेरागढ़ में एसडीएम ने छापेमारी की, जिसमें 2600 पाठ्यपुस्तकें बरामद हुईं। ये किताबें बच्चों को वितरित करने के बजाय छिपाई जा रही थीं। जांच में पता चला कि पुस्तक वितरण की जिम्मेदारी अधिकारियों की थी, लेकिन इसे बीआरसी के माध्यम से कराया जा रहा था, जिससे अनियमितताएं सामने आईं। इस घटना ने शिक्षा विभाग की लापरवाही और जवाबदेही की कमी को उजागर किया।

सैंया में वायरल वीडियो ने मचाया हड़कंप

सैंया में रविवार, 13 जुलाई 2025 को एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया। आरोप है कि सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी (एबीएसए) दीपक कुमार संसाधन केंद्र पर रखी पुस्तकों को टेंपो में लादकर दूसरी जगह छिपाने ले जा रहे थे। एक ग्रामीण ने इस घटना का वीडियो बना लिया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। इस वीडियो ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। वायरल वीडियो में टेंपो में भरी किताबें साफ दिख रही थीं, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया।

डीएम की सख्ती और जांच के आदेश

जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने 8 जुलाई 2025 को बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) को पुस्तक वितरण और उपलब्धता की स्थिति पर दो दिन में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। लेकिन, चार दिन बाद भी बीएसए ने कोई रिपोर्ट नहीं दी, जिससे डीएम नाराज हैं। सैंया मामले में डीएम ने कहा कि यह एबीएसए की लापरवाही का मामला हो सकता है। उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए हैं और दोषी पाए जाने पर एबीएसए के खिलाफ रिपोर्ट महानिदेशक बेसिक शिक्षा को भेजने की बात कही है। डीएम ने स्पष्ट किया कि बच्चों को समय पर किताबें उपलब्ध कराना शिक्षा विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है, और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

परिषदीय विद्यालयों की स्थिति

आगरा जिले में 2451 परिषदीय विद्यालय हैं, जिनमें कक्षा 1 से 8 तक के करीब 2.25 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इन स्कूलों में मुफ्त शिक्षा और पाठ्यपुस्तकें प्रदान करना उत्तर प्रदेश सरकार की सर्व शिक्षा अभियान और समग्र शिक्षा योजनाओं का हिस्सा है। लेकिन, किताबों के वितरण में देरी और छिपाने की घटनाएं इन योजनाओं की सफलता पर सवाल उठाती हैं। स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि बिना किताबों के बच्चे स्कूल तो जा रहे हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कुछ अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि किताबें कालाबाजारी के लिए छिपाई जा रही हैं।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया

सैंया में किताबें छिपाने का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग के खिलाफ गुस्सा देखा गया। एक यूजर ने लिखा, “भाजपा सरकार यूपी की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर रही है। किताबें बच्चों तक पहुंचाने की जगह ठिकाने लगाई जा रही हैं।” इस घटना ने विपक्षी दलों को भी सरकार पर हमला करने का मौका दिया है। समाजवादी पार्टी के नेता ने इसे शर्मनाक बताते हुए मुख्यमंत्री से शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

शिक्षा विभाग की लापरवाही का इतिहास

आगरा में परिषदीय स्कूलों में पाठ्यपुस्तक वितरण में देरी कोई नई बात नहीं है। पिछले वर्षों में भी ऐसी शिकायतें सामने आ चुकी हैं, लेकिन इस बार किताबें छिपाने की घटना ने मामला और गंभीर कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा विभाग में जवाबदेही की कमी और निगरानी तंत्र की कमजोरी इस तरह की अनियमितताओं को बढ़ावा दे रही है। उत्तर प्रदेश में ऑपरेशन कायाकल्प और अमृत भारत योजनाओं के तहत स्कूलों के बुनियादी ढांचे को बेहतर करने की कोशिश हो रही है, लेकिन किताबों जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव इन प्रयासों को कमजोर कर रहा है।

डीएम के निर्देश और भविष्य की कार्रवाई

डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और निम्नलिखित निर्देश जारी किए हैं:

  • सभी परिषदीय स्कूलों में तत्काल पाठ्यपुस्तक वितरण सुनिश्चित करना।
  • सैंया में किताबें छिपाने के मामले की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई।
  • बीएसए और एबीएसए को जवाबदेही तय करने के लिए नियमित रिपोर्टिंग।
  • स्कूलों में पुस्तक वितरण की प्रक्रिया की निगरानी के लिए विशेष टीमों का गठन।

डीएम ने अभिभावकों से भी अपील की है कि वे किताबों की अनुपलब्धता की शिकायत तुरंत शिक्षा विभाग के हेल्पलाइन नंबर (0562-2521116) पर दर्ज करें।

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