आगरा में सर्किल रेट घोटाला: 8 साल तक खसरा नंबरों में फर्जीवाड़ा, 500 करोड़ की स्टांप चोरी का अंदेशा, प्रमुख सचिव तक पहुंची शिकायत

आगरा में सर्किल रेट लिस्ट में आठ साल तक चले खसरा नंबरों के फर्जीवाड़े ने प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। 2017 से 2025 तक सड़क और लिंक मार्गों की मूल्यांकन सूची में खसरा नंबर शामिल न करने के कारण करीब 500 करोड़ रुपये की स्टांप चोरी की आशंका जताई जा रही है। इस घोटाले में उप निबंधकों और सहायक महानिरीक्षक पर निजी स्वार्थ के लिए बिल्डरों और भूमाफियाओं से मिलीभगत के गंभीर आरोप लगे हैं। शाहगंज के निवासी मो. शाकिर ने इस मामले को प्रमुख सचिव (स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन) तक पहुंचाया है, और दोषियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।फर्जीवाड़े का खुलासा:
आगरा में सर्किल रेट लिस्ट में खसरा नंबरों के साथ छेड़छाड़ का यह सिलसिला 2017 से शुरू हुआ, जब पुरानी रेट लिस्ट 1 अगस्त 2017 को लागू की गई थी। सड़क किनारे और लिंक मार्गों पर स्थित जमीनों के बैनामों में खसरा नंबरों को शामिल नहीं किया गया, जिससे स्टांप शुल्क की गणना में भारी अनियमितता हुई। इसकी वजह से राजस्व को अनुमानित 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जिला निबंधक ने बार-बार पत्र भेजकर खसरा नंबरों को सूची में शामिल करने के निर्देश दिए, लेकिन उप निबंधकों ने इसकी अनदेखी की। 14 और 21 दिसंबर 2018 को तत्कालीन एडीएम वित्त एवं राजस्व राकेश कुमार मालपाणी ने सहायक महानिरीक्षक को एक सप्ताह के भीतर खसरा नंबर शामिल करने और लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय करने का आदेश दिया था, लेकिन आठ साल तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।शिकायत और आरोप:
शाहगंज, कोल्हाई निवासी मो. शाकिर ने मंगलवार को नई सर्किल रेट लिस्ट पर आपत्ति दर्ज करते हुए इस फर्जीवाड़े को उजागर किया। उन्होंने प्रमुख सचिव (स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन) को शिकायत भेजकर उप निबंधक प्रथम, द्वितीय, और तृतीय, साथ ही सहायक महानिरीक्षक पर निजी स्वार्थ के लिए बिल्डरों और भूमाफियाओं से सांठगांठ के आरोप लगाए। शिकायत में कहा गया कि इस अनियमितता ने सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया। मो. शाकिर ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां रोकी जा सकें।नई सर्किल रेट लिस्ट पर आपत्तियां:
नई सर्किल रेट लिस्ट को लेकर मंगलवार तक 20 से अधिक आपत्तियां दर्ज की गईं। मुड़ेहरा के किसान सोबर सिंह और राधा किशन ने शिकायत की कि उन्हें 2010 की दरों के आधार पर जमीन का मुआवजा मिला था, और जब तक वे दूसरी जगह जमीन नहीं खरीद लेते, सर्किल रेट में बढ़ोतरी न की जाए। खेड़ा भगौर के किसानों ने आपत्ति जताई कि खेड़ा भगौर, गामरी, और जारऊ कटरा जैसे आसपास के गांवों के सर्किल रेट में अंतर है, जिसे समान किया जाए। फारचून प्रोपटेक प्रा.लि. ने भी बरौली अहीर में केपीएस टाउन के सर्किल रेट न बढ़ाने की मांग की।प्रशासन का रुख:
जिला निबंधक और एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला ने बताया कि अब सभी उप निबंधकों की सर्किल रेट लिस्ट में सड़क और लिंक मार्गों के खसरा नंबर शामिल किए जाएंगे। आपत्तियों को 3 जुलाई 2025 तक स्वीकार किया जाएगा, जिसके बाद सुनवाई और निस्तारण के आधार पर नई रेट लिस्ट लागू होगी। प्रशासन ने इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का दावा किया है।राजस्व को भारी नुकसान:
आठ साल तक चले इस फर्जीवाड़े ने न केवल सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किए हैं। सर्किल रेट में खसरा नंबरों की अनदेखी ने बिल्डरों और भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाया, जबकि आम जनता और सरकार को नुकसान उठाना पड़ा। इस मामले के उजागर होने के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि वह दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोके।

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