आगरा नगर निगम में वेतन घोटाला। कागजों पर 4500 सफाई कर्मचारी, सड़कों पर आधे भी नहीं

आगरा नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की संख्या को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। कागजों पर 4500 से अधिक सफाई कर्मचारी दर्ज हैं, लेकिन सड़कों पर इनकी संख्या आधे से भी कम है। इसके बावजूद नगर निगम हर साल सफाई और कचरा प्रबंधन पर 261.50 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। कार्यकारिणी बैठक में पार्षदों ने सफाई कर्मचारियों की वास्तविक संख्या मांगी, लेकिन नगर स्वास्थ्य अधिकारी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके।पार्षदों ने उठाए सवाल
नगर निगम कार्यकारिणी के पूर्व उपसभापति और पार्षद रवि माथुर ने बैठक में सवाल उठाया कि शहर में कितने सफाई गैंग और कर्मचारी काम कर रहे हैं। नगर स्वास्थ्य अधिकारी गैंग की संख्या नहीं बता सके। अधिकारियों के अनुसार, 364 कर्मचारी रात्रिकालीन सफाई के लिए 21 बाजारों में तैनात हैं, लेकिन वेतन 760 से अधिक कर्मचारियों का जारी हो रहा है। रवि माथुर ने आरोप लगाया कि कागजों पर 760 कर्मचारी दिखाकर लगभग 400 कर्मचारियों के वेतन में घोटाला किया जा रहा है।

उन्होंने दो साल से प्रत्येक वार्ड में कर्मचारियों की सूची मांगी, लेकिन निगम ने जानकारी नहीं दी।निरीक्षण में खुली पोल
नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने सफाई व्यवस्था की जांच के लिए अपर नगर आयुक्त शिशिर कुमार को भेजा। 15 दिन के निरीक्षण में सभी वार्डों में तय कर्मचारियों की तुलना में आधे से भी कम कर्मचारी ड्यूटी पर मिले। कागजों पर कर्मचारियों की संख्या अधिक दिखाई जा रही है, लेकिन सत्यापन में हकीकत सामने आई। इस साल सफाई मित्रों के लिए 80 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है, जबकि कुल 261.50 करोड़ रुपये सफाई पर खर्च हो रहे हैं।पार्षदों की मांग अनसुनी
पार्षद रवि माथुर ने प्रस्ताव रखा था कि शहर के 100 वार्डों में प्रत्येक पार्षद को 10-10 सफाई कर्मचारी दिए जाएं। यह प्रस्ताव मंजूर हो गया, लेकिन 15 दिनों में भर्ती के लिए पारदर्शी कमेटी गठन नहीं हुआ। रवि माथुर का कहना है कि अगर प्रत्येक वार्ड में 10 कर्मचारी मिल जाते, तो कचरा और जलभराव की समस्या नहीं होती। निरीक्षण में हर वार्ड में 10 से 20 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए। पार्षद बंटी माहौर ने आरोप लगाया कि सफाई कर्मचारियों की भर्ती में धांधली हो रही है। एक वायरल ऑडियो में मेयर के रिश्तेदार का जिक्र हुआ था, लेकिन इसकी जांच नहीं हुई।खर्च का लेखा-जोखा
आगरा नगर निगम में सफाई पर भारी खर्च हो रहा है। आउटसोर्स सफाई मित्रों पर 80 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य विभाग के सफाई मित्रों पर 100 करोड़ रुपये, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण पर 35 करोड़ रुपये और कचरा निस्तारण पर 20 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस बार डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए 70 करोड़ रुपये का बजट है। फिर भी सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा। पार्षदों ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ जांच की मांग की है।

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