आगरा पुलिस ने साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू करते हुए ‘प्रतिबिंब’ पोर्टल के जरिए 250 ठगों को चिह्नित किया है। ये अपराधी देशभर में फर्जी सिम, फर्जी आधार कार्ड और सोशल मीडिया के जरिए लोगों को ठग रहे थे। पुलिस ने चार केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है और जल्द ही इन अपराधियों को गिरफ्तार करने की योजना है। ऑपरेशन कोड ब्रेक के तहत पुलिस साइबर ठगी के नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
विस्तार
आगरा में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए कमिश्नरेट पुलिस ने ‘ऑपरेशन कोड ब्रेक’ शुरू किया है। इस अभियान के तहत ‘प्रतिबिंब’ पोर्टल की मदद से 250 साइबर अपराधियों को चिह्नित किया गया है। ये अपराधी फर्जी आधार कार्ड के जरिए सिम हासिल करके, फर्जी बैंक अधिकारी बनकर, या निवेश के नाम पर लालच देकर लोगों को ठग रहे थे। कुछ मामलों में ये अपराधी फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर लोगों को ब्लैकमेल करके पैसे ऐंठ रहे थे।
साइबर ठगी का तरीका
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि साइबर अपराधी अक्सर फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल करके सिम कार्ड हासिल करते हैं। इसके बाद वे लोगों को फोन करके ठगी करते हैं। कभी ये खुद को बैंक अधिकारी बताकर खातों में रकम जमा करवाते हैं, तो कभी निवेश पर भारी मुनाफे का लालच देकर लोगों को लूट लेते हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी बनाकर खासकर लड़कियों को ब्लैकमेल करके पैसे वसूलने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
इन अपराधियों की चालाकी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे एक राज्य में बैठकर दूसरे राज्य के लोगों को ठगते हैं। साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर मिलने वाली शिकायतों के आधार पर पुलिस ने इनका डाटा तैयार किया और प्रतिबिंब पोर्टल पर फीड किया। इस पोर्टल के जरिए 250 अपराधियों की पहचान की गई है। इनमें से मलपुरा, शाहगंज, जगदीशपुरा और ताजगंज में चार केस दर्ज किए जा चुके हैं। पुलिस अब इन ठगों को गिरफ्तार करने की तैयारी में है।
प्रतिबिंब पोर्टल: साइबर अपराधियों का काल
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि प्रतिबिंब पोर्टल साइबर अपराधों को रोकने में एक महत्वपूर्ण हथियार साबित हो रहा है। इस पोर्टल पर पुलिस देशभर में होने वाले साइबर अपराधों का डाटा फीड करती है, जिसमें मोबाइल नंबर, नेटवर्क, लोकेशन, बैंक खाते और फर्जी आईडी की जानकारी शामिल होती है। इस डाटा के आधार पर अपराधियों की पहचान और उनकी लोकेशन का पता लगाया जाता है। सत्यापन के बाद पुष्टि होने पर पुलिस कार्रवाई करती है।
ऑपरेशन कोड ब्रेक के तहत पुलिस ओटीपी ठगी, यूपीआई फ्रॉड और म्यूल एकाउंट (जिन खातों में ठगी का पैसा जमा होता है) बनाने वालों की धरपकड़ कर रही है। डीसीपी ने बताया कि इस अभियान में डाटा का मिलान करके अपराधियों तक पहुंचा जा रहा है।
विदेश में बंधुआ मजदूरी और फर्जी सिम का खेल
पुलिस ने 46 ऐसे लोगों को चिह्नित किया है, जो वियतनाम और कंबोडिया जैसे देशों में नौकरी के लिए गए थे, लेकिन वहां उनसे बंधुआ मजदूरी कराई गई। इन लोगों से डोजियर (विस्तृत जानकारी) भरवाए गए हैं, और उनका डाटा लखनऊ से दिल्ली भेजा जाएगा। इसके अलावा, इस साल 910 लोग फर्जी सिम बेचने के मामले में चिह्नित किए गए हैं। ये लोग साइबर अपराधियों को सिम उपलब्ध कराकर उनके नेटवर्क को मजबूत करने में मदद करते हैं।
पुलिस की रणनीति और भविष्य की योजना
आगरा पुलिस का कहना है कि साइबर अपराधियों के खिलाफ यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक उनका नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त नहीं हो जाता। प्रतिबिंब पोर्टल के जरिए चिह्नित किए गए 250 अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित की गई हैं। पुलिस का दावा है कि जल्द ही इन ठगों को जेल भेजा जाएगा। साथ ही, फर्जी सिम बेचने वालों और म्यूल एकाउंट संचालकों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक प्रभाव और जागरूकता
इस अभियान ने न केवल साइबर अपराधियों में खौफ पैदा किया है, बल्कि आम लोगों में भी जागरूकता बढ़ाने का काम किया है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे अनजान नंबरों से आने वाले कॉल्स और लालच देने वाले मैसेज पर भरोसा न करें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर दें।