अमेठी में समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित विधायक राकेश प्रताप सिंह ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने अखिलेश से अतीत की कथित ‘पैकेज डील’ पर पर्दा उठाने की मांग की है। बुधवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए राकेश ने अखिलेश को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि जब सपा सत्ता में थी, तब श्री सेठ नामक व्यक्ति को विधान परिषद भेजने के लिए कितने रुपये का ‘पैकेज’ तय हुआ था। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब तत्कालीन राज्यपाल ने श्री सेठ का नाम खारिज कर दिया था, तो क्या बाद में पैकेज की राशि बढ़ाकर उन्हें राज्यसभा भेजा गया?
राकेश प्रताप सिंह का यह बयान सपा द्वारा उन्हें फरवरी 2024 के राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने के आरोप में पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद आया है। निष्कासन के बाद राकेश ने सपा पर अपनी मूल विचारधारा से भटकने का आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिए राम, राष्ट्र और सनातन धर्म सबसे पहले हैं, जबकि पार्टी दूसरी प्राथमिकता है। राकेश ने यह भी कहा कि सपा के इस फैसले से उन्हें ‘घुटन’ से मुक्ति मिली है और वे इसे एक सकारात्मक बदलाव मानते हैं।
इस घटनाक्रम ने अमेठी में सियासी माहौल को गर्म कर दिया है। स्थानीय लोगों के बीच इस मुद्दे पर चर्चाएं जोरों पर हैं। तरसड़ा गांव के अधिवक्ता महेंद्र शुक्ल ने तंज कसते हुए कहा, “अब राकेश को राम की याद आई है, अब राम ही उनका कल्याण करेंगे।” वहीं, माधवपुर के निवासी विपिन तिवारी और दीपक ने कहा कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है और आने वाला समय इस मामले की सच्चाई सामने लाएगा।
राकेश प्रताप सिंह ने पहले भी सपा नेतृत्व पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अखिलेश यादव पर जातिवादी राजनीति करने और उन्हें अयोध्या में राम मंदिर दर्शन करने से रोकने का आरोप लगाया था। इसके अलावा, उन्होंने सपा द्वारा बागी विधायकों पर कार्रवाई में भेदभाव का सवाल उठाया, खासकर यह पूछकर कि आठ बागी विधायकों में से केवल तीन पर ही कार्रवाई क्यों की गई।
गौरतलब है कि सपा ने राकेश प्रताप सिंह के साथ-साथ गोसाईगंज के विधायक अभय सिंह और ऊंचाहार के विधायक मनोज कुमार पांडेय को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित किया है। सपा का कहना है कि ये विधायक पार्टी की ‘पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक’ (PDA) विचारधारा के खिलाफ गए और उन्होंने भाजपा की गलत नीतियों का समर्थन किया। राकेश ने अपने बयानों में यह भी दावा किया कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संपर्क में हैं, जिससे सियासी अटकलों को और हवा मिली है।
यह विवाद 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। राकेश प्रताप सिंह के आरोपों और उनके निष्कासन ने पार्टी के भीतर की अंतर्कलह को उजागर कर दिया है। अब यह देखना बाकी है कि क्या अखिलेश यादव इन आरोपों का जवाब देंगे और क्या राकेश की मांग के अनुसार ‘पैकेज डील’ की सच्चाई सामने आएगी।