उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के हरैया सतघरवा थाना क्षेत्र के परसपुर गांव में बुधवार, 25 जून 2025 की रात एक दुखद और चौंकाने वाली घटना घटी। यह गांव हाइवे के किनारे बसा है, जहां राम समुझ जायसवाल का 45 वर्षीय बेटा पंकज जायसवाल अपने घर के बाहर सो रहा था। पंकज परसदा बाजार में किराना की दुकान चलाता था और अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। रात करीब 11:30 बजे एक तेज रफ्तार पुलिस वाहन अचानक अनियंत्रित हो गया। यह वाहन पहले पंकज पर चढ़ गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया, और फिर उनके घर की दीवार तोड़ते हुए अंदर घुस गया। इस हादसे से पूरे घर और आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
परिजनों ने तत्काल पंकज को तुलसीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि उनकी मौत घटनास्थल पर ही हो चुकी थी। गुरुवार सुबह, 26 जून 2025 को इस घटना की खबर पूरे गांव में फैल गई, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया। गुस्साए ग्रामीणों ने हाइवे जाम कर पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
पुलिस का बयान: हरैया सतघरवा के सर्कल ऑफिसर (सीओ) डॉ. जितेंद्र कुमार ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि हादसा पुलिस वाहन के कारण हुआ। उन्होंने कहा कि यह वाहन नेपाल सीमा पर मोबाइल गश्ती ड्यूटी पर था और रात में लौटते समय इसकी स्टेयरिंग जाम हो गई, जिसके चलते यह अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। सीओ ने इसे एक तकनीकी खराबी बताया और हादसे पर खेद जताया।
वहीं, थाना प्रभारी निरीक्षक अभिषेक सिंह ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि पुलिस पीड़ित परिवार के साथ है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि परिजन तहरीर (लिखित शिकायत) देते हैं और उन्हें लगता है कि वह स्वयं दोषी हैं, तो वह अपने खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने को तैयार हैं। यह बयान पुलिस की जवाबदेही को दर्शाता है, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है।
ग्रामीणों का विरोध और मांगें: घटना के बाद परसपुर गांव के ग्रामीणों ने सड़क जाम कर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उनका कहना था कि पुलिस की लापरवाही और तेज रफ्तार के कारण एक निर्दोष व्यक्ति की जान चली गई। ग्रामीणों ने मांग की कि इस हादसे की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। साथ ही, पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा और सहायता प्रदान करने की मांग भी उठ रही है।
प्रशासनिक और सामाजिक प्रभाव: यह घटना न केवल एक परिवार के लिए त्रासदी है, बल्कि पुलिस और जनता के बीच विश्वास को भी प्रभावित कर रही है। पुलिस वाहन द्वारा इस तरह की दुर्घटना ने क्षेत्र में सुरक्षा मानकों और पुलिस प्रशिक्षण पर सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पुलिस वाहन नियंत्रित गति में होता, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है कि वह इस मामले की गहन जांच करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।
कानूनी प्रक्रिया: पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं की है, क्योंकि परिजनों की ओर से लिखित शिकायत का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि, प्रभारी निरीक्षक के बयान से यह स्पष्ट है कि पुलिस इस मामले में पारदर्शी कार्रवाई करने को तैयार है। हादसे की जांच में वाहन की तकनीकी खराबी की पुष्टि के लिए मैकेनिकल जांच और अन्य प्रक्रियाएं भी शुरू की जा सकती हैं।