उत्तर प्रदेश के एटा जिले में कांग्रेस पार्टी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, लेकिन आंतरिक कलह ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। जिला और शहर कमेटी के बीच तालमेल की कमी साफ दिख रही है। गिने-चुने कार्यकर्ता भी दो गुटों में बंट गए हैं, जिससे पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठ रहे हैं। यह विवाद अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच चुका है।
नई कमेटियों के बाद भी नहीं थमा विवाद
लंबे समय तक एटा में कांग्रेस जिला अध्यक्ष के बिना रही। हाल ही में शहर और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ-साथ दोनों की कार्यकारिणी भी घोषित की गई। पार्टी के आला नेताओं को उम्मीद थी कि नई कमेटियां नई ऊर्जा लाएंगी, लेकिन इसके उलट स्थिति और बिगड़ गई। जिला और शहर कमेटी के बीच मतभेद इस कदर बढ़ गए हैं कि दोनों अपने-अपने कार्यक्रम अलग-अलग आयोजित कर रही हैं।
शपथ ग्रहण में भी दिखी गुटबाजी
हाल ही में सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ, लेकिन यह भी एकजुटता की कमी का गवाह बना। जिला कमेटी ने ठंडी सड़क पर एक विवाह स्थल में अपना कार्यक्रम किया, जबकि शहर कमेटी ने जिला कार्यालय पर अलग से शपथ ग्रहण आयोजित किया। पार्टी स्तर पर भेजे गए कार्यक्रमों में भी दोनों कमेटियां एक साथ नजर नहीं आ रही हैं, जिससे कार्यकर्ताओं में भ्रम और असंतोष बढ़ रहा है।
पार्टी के लिए चुनौती बनी आंतरिक फूट
कांग्रेस के लिए एटा में पहले से ही चुनौतियां कम नहीं थीं, और अब यह गुटबाजी स्थिति को और जटिल बना रही है। कार्यकर्ताओं का दो धड़ों में बंटना और कमेटियों के बीच तनातनी पार्टी की जमीनी ताकत को कमजोर कर रही है। इस मामले की गूंज प्रदेश नेतृत्व तक पहुंच चुकी है, और जल्द ही कोई ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद है।