क्या है बैलिस्टिक जांच? पुलिस एनकाउंटर की परतें खोलने वाला वैज्ञानिक सच

आगरा | 2 जुलाई 2025
उत्तर प्रदेश में अपराध के खिलाफ सख्ती के चलते पुलिस मुठभेड़ों की संख्या में इजाफा हुआ है। खासतौर पर आगरा कमिश्नरेट, मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी जैसे जिलों में हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई में बैलिस्टिक जांच एक अहम भूमिका निभा रही है। यह वैज्ञानिक जांच कोर्ट में एक मजबूत साक्ष्य के रूप में मानी जाती है।

मुठभेड़ और बैलिस्टिक जांच का सीधा रिश्ता:
पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ के बाद यह जांच तय करती है कि गोली किसने चलाई, किस हथियार से चली, और कितनी दूरी से फायर किया गया। यही नहीं, हथियार पर मिले फिंगरप्रिंट्स, खोखे की लोकेशन, गोली के निशान जैसी बारीकियां भी इस रिपोर्ट में दर्ज होती हैं।

कारगिल चौराहे का चर्चित मामला:
आगरा के चर्चित कारगिल चौराहे पर हुई लूट व हत्या के मामले में भी मुठभेड़ के बाद बैलिस्टिक रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें पुलिस और अपराधियों के हथियारों की जांच की गई। रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि गोलीबारी में इस्तेमाल हुए हथियार कौन-कौन से थे।

फोरेंसिक लैब पर बढ़ता दबाव:
आगरा स्थित फोरेंसिक लैब में मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद जैसे जिलों से भी केस भेजे जा रहे हैं। केवल आगरा में ही बीते दो महीनों में 30 से अधिक मुठभेड़ें हो चुकी हैं। हर मामले में बैलिस्टिक जांच की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

पुलिस की जिम्मेदारी और साक्ष्य की मजबूती:
एनकाउंटर के बाद मजिस्ट्रेटी जांच भी होती है। इसमें पुलिसकर्मियों के हथियार लैब में भेजे जाते हैं और जांच के बाद तय होता है कि गोली किन परिस्थितियों में चली। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि बैलिस्टिक रिपोर्ट अपराधियों को सजा दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *