लखनऊ में फर्जी कंपनी बनाकर 10.76 करोड़ रुपये का बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) हड़पने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घोटाले में राज्य कर विभाग के डिप्टी कमिश्नर मनीष कुमार और असिस्टेंट कमिश्नर रितेश कुमार बरनवाल पर फर्म के साथ मिलीभगत का आरोप लगा है, जिसके चलते दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
घोटाले का खुलासा
- फर्जी कंपनी का पंजीयन: जनवरी 2025 में रायबरेली में ‘राजधानी इंटरप्राइजेज’ नाम से एक कंपनी का पंजीयन कराया गया। 15 फरवरी को विभागीय जांच में कंपनी का कोई अता-पता नहीं मिला, जिसके बाद 24 फरवरी को इसका पंजीयन निलंबित कर दिया गया।
- फर्जीवाड़ा जारी: पंजीयन निलंबित होने के बावजूद फर्म ने बिना माल की आपूर्ति के 57.35 करोड़ रुपये की फर्जी सप्लाई दिखाकर दिल्ली की शिव इंटरप्राइजेज को 10.76 करोड़ रुपये की ITC ट्रांसफर कर दी।
- फर्जी दस्तावेज: जांच में सामने आया कि फर्म ने पंजीयन के लिए फर्जी बिजली बिल का इस्तेमाल किया था।
अधिकारियों पर कार्रवाई
जांच में डिप्टी कमिश्नर मनीष कुमार और असिस्टेंट कमिश्नर रितेश बरनवाल की मिलीभगत का खुलासा हुआ। दोनों अधिकारियों को मंगलवार को निलंबित कर दिया गया। मामले की गहन जांच के लिए अपर आयुक्त राज्य कर सैमुअल पाल एन को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।
कानूनी कदम
असिस्टेंट कमिश्नर रितेश बरनवाल ने फर्जीवाड़े के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन जांच में उनकी संलिप्तता पाए जाने के बाद उनके खिलाफ भी कार्रवाई हुई। शासन स्तर पर की गई जांच में इस घोटाले के कई और पहलुओं का खुलासा होने की संभावना है।