माया टीला हादसा। पीड़ितों का धरना और अनसुना दर्द हादसे ने छीना आशियाना

मथुरा के माया टीला क्षेत्र में रविवार को हुए हादसे ने कई परिवारों की जिंदगी तहस-नहस कर दी। शाहगंज दरवाजा क्षेत्र में माया टीला के पास खुदाई के दौरान छह मकान ढह गए। इन मकानों में रहने वाले परिवारों का सारा सामान मलबे में दब गया। हादसे के बाद प्रशासन ने पीड़ितों को वृंदावन के डूडा आवासों में बसाने की व्यवस्था की। लेकिन वहां भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं। पीड़ितों का आरोप है कि उनके लिए आवंटित आवासों के ताले तोड़कर किसी और ने कब्जा कर लिया। मजबूरी में ये परिवार माया टीला के पास क्षत्रिय धर्मशाला में शरण लिए हुए हैं।

धरने पर बैठे पीड़ित। पुलिस ने हटाया
हादसे से प्रभावित परिवारों ने अपनी मांगों को लेकर बृहस्पतिवार को माया टीला के पास धरना शुरू किया। उनकी मांग थी कि उन्हें वृंदावन की बजाय मथुरा में ही घर दिए जाएं और उनके नुकसान की भरपाई की जाए। करीब 20 से अधिक पीड़ित परिवार के सदस्य घटनास्थल पर पहुंचे और धरने पर बैठ गए। उन्होंने मलबे की ओर जाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। दिनभर धरने पर बैठे रहने के बाद शाम करीब साढ़े चार बजे पुलिस ने उन्हें वहां से हटा दिया। पीड़ित राकेश कुमार ने बताया कि एक पीड़ित मानसिंह अपने रिश्तेदार को क्षतिग्रस्त मकान दिखाने गए थे। इस दौरान पुलिस ने उन्हें बाहर भगा दिया। एक बालिका से वीडियो बनाते समय उसका फोन भी छीन लिया गया। बाद में स्थिति को शांत कर पीड़ितों को धर्मशाला वापस भेज दिया गया।

पीड़ितों की मांग। मथुरा में बसाने की गुहार
पीड़ित परिवारों का कहना है कि वे तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। ललिता देवी ने बताया कि प्रशासन ने उन्हें मथुरा में मकान और नुकसान का मुआवजा देने का आश्वासन नहीं दिया है। परिवारों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इस मामले में हस्तक्षेप कर मदद की अपील की है। धरने में पूजा देवी, राकेश कुमार, मानसिंह, ललिता देवी, प्रमोद शर्मा, सोनी देवी और उनके परिवार के सदस्य शामिल थे। पीड़ितों का कहना है कि उनका सब कुछ मलबे में दब चुका है और अब उनके पास न घर है न ही कोई सहारा।

प्रशासन की चुप्पी और पीड़ितों का संघर्ष
माया टीला हादसे ने न केवल पीड़ित परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा किया बल्कि प्रशासन की जवाबदेही पर भी सवाल उठाए हैं। पीड़ितों का दर्द और उनकी मांगें अनसुनी रहना इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है। यह खबर कॉपीराइट मुक्त है और इसे वेबसाइट पर प्रकाशित किया जा सकता है।

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