नगर निगम के दावे फेल. जलभराव से शहर बेहाल
अलीगढ़. मानसून की पहली बारिश ने अलीगढ़ शहर की सड़कों को पानी के दरिया में बदल दिया. 28 जून की शाम को हुई तीन घंटे की बारिश ने नगर निगम के नाले सफाई के दावों की पोल खोल दी. शहर के प्रमुख मार्गों और हाईवे पर 36 घंटे बाद भी जलभराव की स्थिति बनी हुई है. रविवार तड़के तीन बजे से फिर शुरू हुई झमाझम बारिश ने हालात को और बदतर कर दिया. इससे शहरवासियों का बिना भीगे कहीं आना-जाना मुश्किल हो गया है. नगर निगम ने नालों की सफाई पर ढाई करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया था, लेकिन सड़कों पर जमा पानी इसकी हकीकत बयान कर रहा है.
28 जून को शाम चार बजे से सात बजे तक हुई बारिश के बाद शहर के कई इलाकों में भारी जलभराव हो गया. रामघाट कल्याण मार्ग, अलीगढ़-आगरा मार्ग, अलीगढ़-मथुरा रोड, अलीगढ़-दिल्ली रोड, अलीगढ़-एटा मार्ग, अलीगढ़-पलवल मार्ग और अलीगढ़-बदायूं मार्ग जैसे प्रमुख रास्तों पर पानी जमा है. इन मार्गों पर वाहनों और पैदल यात्रियों का निकलना चुनौतीपूर्ण हो गया है. अपर नगर आयुक्त राकेश कुमार यादव ने बताया कि जलभराव की समस्या से निपटने के लिए पंपिंग सेट लगाए गए हैं और जहां जरूरत है, वहां मोबाइल पंपिंग सेट भी इस्तेमाल किए जाएंगे. हालांकि, शहरवासियों का कहना है कि ये उपाय नाकافی साबित हो रहे हैं.
नगर निगम ने दावा किया था कि मानसून से पहले 337 नालों की सफाई पूरी कर ली गई, जिनमें 60 बड़े और 277 छोटे नाले शामिल हैं. इस सफाई पर ढाई करोड़ रुपये खर्च किए गए. इसके बावजूद, पहली बारिश में ही शहर की सड़कें तालाब बन गईं. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर नाले पूरी तरह साफ होते, तो 36 घंटे बाद भी सड़कों पर पानी जमा नहीं रहता. यह स्थिति नगर निगम की तैयारियों और ड्रेनेज सिस्टम की खामियों को उजागर करती है.
शहरवासियों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि हर साल बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या दोहराई जाती है, लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकाला जा रहा. प्रमुख मार्गों पर पानी जमा होने से यातायात बाधित हो रहा है और लोगों को रोजमर्रा के कामों में परेशानी हो रही है. नागरिकों ने मांग की है कि नगर निगम नाले सफाई के नाम पर होने वाले खर्च की पारदर्शिता सुनिश्चित करे और ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए ठोस कदम उठाए.