सट्टे की लत ने बर्बाद किए परिवार: कर्ज में डूबे, घर छोड़कर भागे लोग, फिरोजाबाद में सट्टेबाजों का आतंक

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में सट्टे की लत ने कई परिवारों को तबाह कर दिया है। इस बुरी आदत के कारण लोग अपनी जमा-पूंजी गंवाकर कर्ज के बोझ तले दब गए हैं। नतीजा, कुछ ने अपनी जान दे दी, तो कुछ को अपना घर-बार छोड़कर शहर से पलायन करना पड़ा। सट्टेबाजों के खिलाफ कमजोर कानूनी कार्रवाई और 13जी एक्ट के तहत आसानी से मिलने वाली जमानत ने इस अवैध धंधे को और बढ़ावा दिया है। फिरोजाबाद की कांचनगरी में सट्टे का जाल इस कदर फैल चुका है कि छोटे-बड़े व्यापारी और मजदूर तक इसके शिकार हो रहे हैं।सट्टे की लत का कहर:
फिरोजाबाद, जिसे कांचनगरी के नाम से जाना जाता है, में सट्टे की लत ने कई परिवारों को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है। सट्टेबाजों का जाल इतना मजबूत है कि लोग अपनी मेहनत की कमाई और पुश्तैनी संपत्ति तक गंवा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई छोटे-बड़े व्यापारियों ने कर्ज के बोझ और सट्टेबाजों के दबाव के कारण शहर छोड़ दिया। सट्टे का यह अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है, और 13जी एक्ट के तहत मामूली कार्रवाई इसे रोकने में नाकाम साबित हो रही है। सट्टेबाजों के वीडियो आए दिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जो इस धंधे की बेरोकटोक मौजूदगी को दर्शाते हैं।केस 1: हकीम चंद्र का दुखद अंत:
फिरोजाबाद के दक्षिण थाना क्षेत्र में कुछ साल पहले हकीम चंद्र नाम का एक युवक सट्टे की लत का शिकार हो गया। वह बसों में दौली बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। लेकिन सट्टे की लत ने उसकी जिंदगी को तहस-नहस कर दिया। सट्टे में हारने के बाद वह भारी कर्ज में डूब गया। जब कर्जदाताओं ने उसके घर पर दबाव बनाना शुरू किया, तो वह अपने परिवार को लेकर राजस्थान भाग गया। इस तरह सट्टे की लत ने एक मेहनती युवक और उसके परिवार को उजड़ने पर मजबूर कर दिया।केस 2: बैंक मैनेजर की बर्बादी:
लगभग दो साल पहले, फिरोजाबाद में एक निजी बैंक के मैनेजर को सट्टे की ऐसी लत लगी कि वह कर्ज के जाल में फंस गया। सट्टे में पैसे गंवाने के बाद उसका कर्ज इतना बढ़ गया कि उसे अपनी नौकरी तक छोड़नी पड़ी। कर्जदाताओं के डर से वह परिवार सहित शहर छोड़कर फरार हो गया। इस तरह सट्टे की लत ने एक सम्मानजनक नौकरी और स्थिर जिंदगी को तबाह कर दिया। इसके अलावा, कई धनाढ्य परिवार भी सट्टे के कारण अपनी सारी संपत्ति खोकर फिरोजाबाद से पलायन कर चुके हैं।केस 3: खुलेआम सट्टा, शिकायत के बाद भी लापरवाही:
नवंबर 2022 में दक्षिण थाना क्षेत्र के एक मोहल्ले में खुलेआम सट्टा चलने की शिकायत सामने आई थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि सट्टेबाज मजदूरों और मेहनतकश लोगों को अपनी लत में फंसाकर उनकी कमाई लूट रहे थे। गुस्साए निवासियों ने तत्कालीन डीएम और एसएसपी से इसकी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने अपने घरों के बाहर पलायन के पोस्टर चिपका दिए। इसके बाद तत्कालीन सीओ सिटी ने पीड़ितों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर एक आरोपी को जेल भेजा। लेकिन यह कार्रवाई भी सट्टे के इस गोरखधंधे को पूरी तरह रोकने में नाकाम रही।13जी एक्ट: सट्टेबाजों का सुरक्षा कवच:
सट्टे के खिलाफ कार्रवाई में सबसे बड़ी बाधा 13जी एक्ट है, जो एक जमानती अपराध है। इस कानून के तहत सट्टेबाजों को आसानी से थाने से जमानत मिल जाती है। नियम के अनुसार, अगर सट्टा खेलते हुए मौके पर पकड़ा जाए, तो धारा 3/4 के तहत सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन पुलिस अक्सर 13जी एक्ट के तहत ही चालान कर देती है, जिससे सट्टेबाज बिना किसी डर के अपना धंधा जारी रखते हैं। थाना उत्तर, दक्षिण, रसूलपुर, रामगढ़, और लाइनपार जैसे क्षेत्रों में सट्टे का कारोबार खुलेआम चल रहा है, और इसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।पुलिस का रवैया:
सीओ सिटी अरुण कुमार चौरसिया ने दावा किया कि पुलिस अवैध गतिविधियों पर लगातार कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि सट्टा खिलाने वालों के अड्डों पर छापेमारी की गई है, और अगर यह गतिविधियां दोबारा सामने आती हैं, तो सख्त अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई सतही है, और सट्टेबाजों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।सट्टे का सामाजिक प्रभाव:
सट्टे की लत ने फिरोजाबाद में सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को तहस-नहस कर दिया है। यह न केवल व्यक्तियों और उनके परिवारों को बर्बाद कर रहा है, बल्कि पूरे समुदाय को प्रभावित कर रहा है। लोग अपनी मेहनत की कमाई, संपत्ति, और सम्मान खो रहे हैं। सट्टेबाजों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई और जागरूकता अभियानों की सख्त जरूरत है, ताकि इस बुराई को जड़ से खत्म किया जा सके।

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