केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 2026 से 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित करने का फैसला किया है। इस कदम का मकसद छात्रों के तनाव को कम करना और उन्हें बेहतर प्रदर्शन का मौका देना है। पहली परीक्षा अनिवार्य होगी, जबकि दूसरी वैकल्पिक होगी। खास बात यह है कि दोनों में से जिस परीक्षा में ज्यादा अंक होंगे, वही मार्कशीट में दर्ज होंगे। आगरा के सीबीएसई स्कूलों के छात्र इस फैसले से उत्साहित हैं।
छात्रों की राय
- तनाव कम, आत्मविश्वास बढ़ेगा: जीडी गोयनका की छात्रा जिया का कहना है कि अक्सर कम अंक आने पर निराशा होती है और सप्लीमेंट्री का नाम भी बुरा लगता है। दो बार परीक्षा का मौका मिलने से छात्र बिना दबाव के बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।
- वैकल्पिक परीक्षा की सुविधा: प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के छात्र अविरल जायसवाल ने बताया कि दूसरी परीक्षा वैकल्पिक है। अगर पहली परीक्षा में अंक अच्छे नहीं आए तो दूसरा मौका लिया जा सकता है, अन्यथा जरूरत नहीं।
- बेहतर अंकों का फायदा: जीडी गोयनका के अरमान मलिक के मुताबिक, यह फैसला छात्रों के हित में है। अगर दूसरी परीक्षा में अंक कम आए तो पहली परीक्षा के अंक ही फाइनल होंगे, जिससे प्रदर्शन सुधारने की संभावना बढ़ेगी।
- तैयारी के लिए समय: प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल की नाइशा छौंकर ने कहा कि पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में होगी। अगर अंक उम्मीद के मुताबिक न आएं तो मई में दूसरा मौका मिलेगा, जिससे तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
नई व्यवस्था की खासियत
- पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में, दूसरी मई में होगी।
- दोनों परीक्षाओं में से बेहतर अंक वाली मार्कशीट मान्य होगी।
- वैकल्पिक दूसरी परीक्षा से छात्रों को तनाव कम करने और प्रदर्शन सुधारने का मौका मिलेगा।
निष्कर्ष
सीबीएसई का यह नया नियम छात्रों को लचीलापन और आत्मविश्वास देगा, लेकिन दो बार परीक्षा की तैयारी का दबाव भी हो सकता है। छात्र इसे अवसर के रूप में देख रहे हैं, जो उनके भविष्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।