आगरा के बरहन थाना क्षेत्र के उदयपुर गांव में एक 18 वर्षीय युवती की सर्पदंश से मौत हो गई. परिवार ने उसे तुरंत अस्पताल ले जाने के बजाय अंधविश्वास में पड़कर बायगीर के पास ले गए. इस देरी के कारण युवती की जान नहीं बच सकी. डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज मिलता तो शायद उसकी जान बच सकती थी. यह घटना अंधविश्वास के खतरों को फिर से उजागर करती है.
घटना का विवरण
उदयपुर गांव के हरेंद्र की बेटी उपासना शनिवार रात अपने घर की छत पर सो रही थी. रात में उसे अपने हाथ में तेज दर्द और चुभन महसूस हुई. उसने परिजनों को इस बारे में बताया, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. कुछ देर बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी. घबराए परिजनों ने उसे नजदीकी अस्पताल ले जाने के बजाय स्थानीय बायगीर के पास ले जाने का फैसला किया. बायगीर ने कुछ देर तक झाड़-फूंक की, लेकिन तब तक उपासना की सांसें थम चुकी थीं. परिवार का यह फैसला अंधविश्वास के कारण लिया गया, जिसकी कीमत युवती को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.
डॉक्टर की सलाह
एत्मादपुर सीएचसी के अधीक्षक डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि सांप के डसने की स्थिति में तुरंत मेडिकल मदद लेना जरूरी है. उन्होंने कहा कि उनके अस्पताल में 15 एंटी-वेनम वैक्सीन हमेशा उपलब्ध रहती हैं. यदि उपासना को समय पर अस्पताल लाया जाता और जांच में जहरीले सांप के काटने की पुष्टि होती, तो उसे वैक्सीन दी जा सकती थी. डॉ. अग्रवाल के अनुसार, समय पर इलाज से युवती की जान बचने की संभावना थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि सर्पदंश के मामलों में बायगीर या झाड़-फूंक पर भरोसा करने के बजाय तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचना चाहिए.
अंधविश्वास का दुष्परिणाम
यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास की गहरी जड़ों को दर्शाती है. कई लोग आज भी सर्पदंश जैसी आपात स्थिति में वैज्ञानिक इलाज के बजाय पारंपरिक तरीकों पर भरोसा करते हैं. इस तरह की मान्यताएं अक्सर जानलेवा साबित होती हैं. उपासना की मौत ने परिवार को गहरा सदमा दिया है, लेकिन यह समाज के लिए भी एक सबक है कि ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सा सहायता लेना कितना जरूरी है. डॉक्टरों ने बताया कि सर्पदंश के मामलों में पहला एक घंटा, जिसे गोल्डन ऑवर कहा जाता है, बहुत महत्वपूर्ण होता है.
जागरूकता की जरूरत
इस दुखद घटना ने एक बार फिर अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता फैलाने की जरूरत को रेखांकित किया है. स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन को ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शिक्षित करने के लिए अभियान चलाने चाहिए. सर्पदंश के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचने की सलाह और एंटी-वेनम की उपलब्धता के बारे में जागरूकता बढ़ाने से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है. उपासना की मौत न केवल एक परिवार का नुकसान है, बल्कि यह समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि अंधविश्वास का रास्ता कितना खतरनाक हो सकता है.