उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) में अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा-2010 से जुड़े बहुचर्चित भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच अब बंद होने के कगार पर पहुंच गई है। जांच में सहयोग न मिलने पर सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद ने प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र भेजकर गहरी चिंता जताई है।
उन्होंने साफ कहा है कि बीते चार वर्षों से तीन आयोग कर्मचारियों—सिस्टम एनालिस्ट गिरीश गोयल, सेक्शन अफसर विनोद कुमार सिंह और समीक्षा अधिकारी लाल बहादुर पटेल—के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी गई है, लेकिन अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। यही नहीं, आयोग से कई बार—करीब 15 बार—अभिलेखों की मांग की गई, परंतु आज तक जरूरी कागजात मुहैया नहीं कराए गए। सीबीआई का कहना है कि अगर अगले एक माह में अभिलेख और अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलती है तो उन्हें विवश होकर यह जांच स्थायी रूप से बंद करनी पड़ेगी। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि PCS-2015 भर्ती की जांच से संबंधित दस्तावेज भी आयोग ने बार-बार अनुरोध के बावजूद साझा नहीं किए।
सीबीआई ने यह जांच राज्य सरकार के अनुरोध पर शुरू की थी, मगर आयोग का लगातार असहयोगात्मक रवैया जांच की निष्पक्षता और निष्कर्ष पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। ऐसे में अगर संबंधित पक्षों ने शीघ्र सहयोग नहीं किया, तो वर्षों से चले आ रहे इस घोटाले की परतें कभी उजागर नहीं हो सकेंगी, जिससे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को बड़ा झटका लग सकता है।