बिहार में 34.5 प्रतिशत मामले लंबित. त्वरित कार्रवाई से यूपी में सुधार
उत्तर प्रदेश ने महिला उत्पीड़न के मामलों के निस्तारण में देश में पहला स्थान हासिल किया है. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता सिंह चौहान ने बताया कि इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंस (आईटीएसएसओ) के सर्वे के अनुसार प्रदेश में 98.60 प्रतिशत मामलों का निस्तारण हुआ है. यह उपलब्धि त्वरित कार्रवाई और कड़े कदमों का परिणाम है. दिल्ली 97.60 प्रतिशत के साथ दूसरे और हरियाणा 97.20 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है.
चौहान ने आगरा के संजय प्लेस में मीडिया से बातचीत में बताया कि 21 अप्रैल 2018 से 3 जून 2025 तक के आंकड़ों के आधार पर यह सर्वे किया गया. इस अवधि में उत्तर प्रदेश में 1,22,130 प्राथमिकी दर्ज की गईं. इनमें से अधिकांश मामलों का निस्तारण हो चुका है, जबकि कुछ मामले न्यायालयों और विवेचना में लंबित हैं. इनके निपटारे के लिए भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. पहले की सरकारों में उत्तर प्रदेश इस मामले में सातवें स्थान पर था और निस्तारण दर 95 प्रतिशत थी. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
सर्वे के अनुसार बड़े राज्यों में उत्तराखंड 80 प्रतिशत निस्तारण दर के साथ दूसरे और मध्य प्रदेश 77 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है. लंबित मामलों का अनुपात (पेंडेंसी रेट) उत्तर प्रदेश में मात्र 0.20 प्रतिशत है, जो देश में सबसे कम है. तुलना में मणिपुर में 65.7 प्रतिशत, तमिलनाडु में 58.0 प्रतिशत और बिहार में 34.5 प्रतिशत मामले लंबित हैं. बिहार की स्थिति चिंताजनक है, जहां मामलों के निपटारे में सुस्ती देखी जा रही है.
महिला और बाल सुरक्षा संगठन (डब्ल्यूसीएसओ) हर माह इन मामलों की समीक्षा करता है, जिससे निस्तारण प्रक्रिया में तेजी आई है. चौहान ने कहा कि योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति ने अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद की है. इससे पहले महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थीं, लेकिन अब पुलिस और प्रशासन की सक्रियता से न केवल मामले दर्ज हो रहे हैं, बल्कि उनका त्वरित निपटारा भी हो रहा है.
यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. हालांकि, लंबित मामलों को पूरी तरह समाप्त करने और बिहार जैसे राज्यों में निस्तारण दर सुधारने की जरूरत है