सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो चुकी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस मसीह की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि तीन प्रमुख मुद्दों पर रोक की मांग की गई थी, जिनका जवाब उन्होंने दाखिल कर दिया है।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि मामला केवल तीन मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण का व्यापक मुद्दा है। मेहता ने जवाब में कहा कि कोर्ट ने तीन मुद्दों को चिह्नित किया था, और उनका जवाब इन्हीं तक सीमित है।
मेहता ने यह भी दलील दी कि याचिकाकर्ताओं के लिखित बयान अब अन्य मुद्दों की ओर बढ़ गए हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि सुनवाई को केवल तीन मुद्दों तक सीमित रखा जाए। इस पर सिब्बल ने कहा कि पूर्व CJI ने स्पष्ट किया था कि मामले की पूरी सुनवाई होगी और अंतरिम राहत पर विचार किया जाएगा। सिब्बल ने जोर देकर कहा कि यह मामला वक्फ संपत्तियों पर कब्जे से जुड़ा है, जिसे सीमित नहीं किया जा सकता। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि सुनवाई को टुकड़ों में नहीं किया जा सकता।
CJI का दरगाहों पर टिप्पणी
सिब्बल ने तर्क दिया कि संविधान के तहत राज्य धार्मिक संस्थानों को वित्तीय सहायता नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि मस्जिदों या कब्रिस्तानों का रखरखाव राज्य के फंड से नहीं हो सकता, और लोग अक्सर अपनी संपत्ति वक्फ को समर्पित कर देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिरों में चढ़ावे का चलन है, लेकिन मस्जिदों या कब्रिस्तानों में 2000-3000 करोड़ की संपत्ति नहीं होती। इस पर CJI ने टिप्पणी की, “मैं दरगाहों में जाता हूं, वहां ऐसा अक्सर देखने को मिलता है।” सिब्बल ने स्पष्ट किया कि वह मस्जिदों की बात कर रहे हैं।