उत्तर प्रदेश में निर्वाचन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए चुनाव आयोग ने एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। अब निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) को चुनावी ड्यूटी पर तैनात होने के लिए एक अनिवार्य परीक्षा पास करनी होगी। जो अधिकारी इस परीक्षा में फेल होंगे, उन्हें ईआरओ की जिम्मेदारी से हटा दिया जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 398 ईआरओ की परीक्षा अब तक हो चुकी है, और इनमें से लगभग 3-4% अधिकारी परीक्षा में असफल रहे हैं। फेल हुए अधिकारियों को एक और मौका दिया जाएगा, लेकिन यदि वे दोबारा फेल होते हैं, तो उनकी रिपोर्ट भारत निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी, जिसके आधार पर उन्हें ईआरओ के पद से हटाया जा सकता है।
ईआरओ की भूमिका और प्रशिक्षण: प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची को अद्यतन और संशोधित करने की प्रमुख जिम्मेदारी ईआरओ की होती है। आमतौर पर, उप-जिलाधिकारी (एसडीएम) स्तर के अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। चुनाव आयोग के निर्देश पर पहली बार इन अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए। यह प्रशिक्षण तीन अलग-अलग तिथियों—17 जून, 19 जून और 25 जून 2025—को आयोजित हुआ, जिसमें क्रमशः 124, 130 और 144 ईआरओ ने हिस्सा लिया।
प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में विस्तार से बताया गया। इसमें शामिल प्रमुख बिंदु थे:
- मतदाता सूची का प्रबंधन: मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन के लिए प्राप्त दावों और आपत्तियों का समयबद्ध और निष्पक्ष निस्तारण।
- समन्वय: बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और सुपरवाइजरों के साथ प्रभावी समन्वय स्थापित करना।
- तकनीकी प्रशिक्षण: बीएलओ ऐप के उपयोग और तकनीकी पहलुओं की जानकारी।
- कानूनी और ऐतिहासिक जानकारी: चुनाव आयोग के वैधानिक नियमों, प्रक्रियाओं, और इसके इतिहास व कानूनी ढांचे से अवगत कराना।