उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में आज देशभर के 27 लाख बिजली कर्मचारी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल पर हैं। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) के बैनर तले आयोजित इस हड़ताल में यूपी के एक लाख से अधिक कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता कार्यस्थलों के बाहर प्रदर्शन करेंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि उपभोक्ताओं को परेशानी न हो, इसलिए बिजली सेवाएं बाधित नहीं होंगी।
निजीकरण के खिलाफ व्यापक आंदोलन
हड़ताल का मुख्य उद्देश्य पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) के निजीकरण के फैसले को वापस कराना है। समिति ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है ताकि राज्य सरकार इस निर्णय को रद्द करे। इस आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा और रेलवे, बैंक, बीमा, बीएसएनएल, डाक, केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारी, और निजी कारखानों के कर्मचारियों का समर्थन प्राप्त है। प्रदर्शनकारी 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करने, सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण रोकने, ठेका प्रथा खत्म करने, और न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रतिमाह करने की मांग भी उठा रहे हैं।
उपभोक्ताओं की सुविधा का ध्यान
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि हड़ताल को किसानों और उपभोक्ताओं का समर्थन मिला है। बिजली सेवाओं को सुचारु रखने के लिए सभी जिलों में विशेष टीमें गठित की गई हैं। मंगलवार को समिति ने सभी जिलों, परियोजना कार्यालयों, और विद्युत उपकेंद्रों पर जनजागरण अभियान चलाकर हड़ताल की जानकारी दी। प्रदर्शन सभी जिला और परियोजना मुख्यालयों पर होंगे।
पावर कॉरपोरेशन का सख्त रुख
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने चेतावनी दी है कि बिजली आपूर्ति बाधित करने वाले कर्मचारियों को बर्खास्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति है, लेकिन आवश्यक सेवा को प्रभावित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। जानबूझकर ब्रेकडाउन करने वालों पर भी कार्रवाई होगी, और ‘नो वर्क, नो पे’ नीति लागू की जाएगी। सभी क्षेत्रों में कंट्रोल रूम बनाए गए हैं, और जिला प्रशासन के साथ वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई हैं। साथ ही, जुलाई से बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य होगी, और इसके पालन में चूक करने वाले मुख्य अभियंताओं को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।